Home » भारत-नेपाल सीमा पर छठ पूजा : दो देशों के लोग एक साथ मनाते हैं पर्व, भाईचारे की मिसाल

भारत-नेपाल सीमा पर छठ पूजा : दो देशों के लोग एक साथ मनाते हैं पर्व, भाईचारे की मिसाल

छठ पूजा के दौरान घाट पर जाने का विशेष महत्व है और दोनों देशों के लोग मिलकर घाटों का निर्माण करते हैं।

by Rakesh Pandey
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

सीतामढ़ी (बिहार) : बिहार का सीतामढ़ी जिला जो भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है। छठ महापर्व के दौरान एक अनोखा दृश्य प्रस्तुत करता है। यहां भारत और नेपाल के निवासी बिना किसी वीजा या पासपोर्ट के एक साथ मिलकर छठ पूजा मनाते हैं। यह स्थान केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि यह दो देशों के बीच गहरी मैत्री और भाईचारे की मिसाल भी पेश करता है। सीतामढ़ी स्थित झीम नदी पर, जो नेपाल की सीमा से लगती है, भारत और नेपाल के लोग मिलकर इस पर्व को बड़ी श्रद्धा और उल्लास से मनाते हैं।

भारत-नेपाल का भाईचारा : एक साथ मनाते हैं छठ

सीतामढ़ी के विभिन्न गांवों के लोग जैसे कि बसंतपुर, चक्कीमजुरबा, चिलरा, चिलरी, रंमनगरा, मुसरनिहा और नेपाल के सर्लाही और रौतहट जिले से लोग इस पर्व में भाग लेने के लिए झीम नदी के किनारे इकट्ठा होते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परंपरा वर्षों पुरानी है और आज भी भारतीय और नेपाली लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर छठ पूजा करते हैं।

घाटों का निर्माण और आपसी सहयोग

छठ पूजा के दौरान घाट पर जाने का विशेष महत्व है और दोनों देशों के लोग मिलकर घाटों का निर्माण करते हैं। पूजा से पहले, लोग आपस में मिलकर घाट का मुआयना करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि व्रतियों को किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो। घाटों के निर्माण में भारतीय और नेपाली लोग पूर्ण सहयोग की भावना के साथ काम करते हैं। यह दृश्य एक आदर्श उदाहरण है कि किस प्रकार दोनों देश एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं और सामाजिक सौहार्द्र का परिचय देते हैं।

छठ पूजा के दिन, इन घाटों पर बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं, और यह क्षेत्र एक विशाल मेला बन जाता है। भारतीय और नेपाली ग्रामीणों की हजारों की संख्या में भीड़ इस दिन के विशेष माहौल को और भी उल्लासपूर्ण बना देती है। वे न केवल एक साथ पूजा करते हैं, बल्कि एक दूसरे के साथ खुशियां साझा करते हैं और भाईचारे का संदेश फैलाते हैं।

झीम नदी पर हर साल का आयोजन

भारत-नेपाल सीमा के पास बहने वाली झीम नदी पर छठ पूजा का आयोजन एक ऐतिहासिक परंपरा बन चुकी है। दोनों देशों के लोग इस नदी के किनारे इकट्ठा होकर सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा करते हैं। यह परंपरा बहुत पुरानी है, और स्थानीय निवासी बताते हैं कि इसका इतिहास कई दशक पुराना है।

दो देशों के लोग मिलकर करते हैं पूजा

छठ पूजा के दिन भारतीय और नेपाली दोनों समुदाय के लोग एक साथ मिलकर सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह दृश्य बेहद दिलचस्प और भावुक होता है, क्योंकि यहां कोई सीमा नहीं होती—न कोई देश की दीवार, न कोई भेदभाव। दोनों देशों के लोग एक ही नदी के किनारे खड़े होकर, एक ही समय में सूर्य देवता की पूजा करते हैं। वे छठी मइया से उन्नति, समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं। यह पूजा केवल धार्मिक आस्था का विषय नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच के गहरे और अटूट संबंधों की भी अभिव्यक्ति है।

Read Also- Chhath Puja 2024 : आज नहाय-खाय से शुरू हुआ लोक आस्था का महापर्व छठ, जानें पूजन विधि

Related Articles