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Central security forces chitfund scam : करोड़ों का चिटफंड घोटाला, केंद्रीय सुरक्षा बलों के 450 परिवार ठगी के शिकार, अब मिल रही धमकियां

by Anand Mishra
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Kolkata : चंद दिनों में मोटा मुनाफा कमाने के लालच में आकर केंद्रीय सुरक्षा बलों के लगभग 450 परिवारों ने अपनी गाढ़ी कमाई गंवा दी है। एक चौंकाने वाले मामले में, कोस्ट गार्ड और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारियों के परिवारों को कथित तौर पर चिटफंड कंपनियों में निवेश के लिए प्रेरित किया गया और फिर उनकी मेहनत की कमाई को धोखे से हड़प लिया गया। अब, पीड़ितों को अपनी ही रकम वापस मांगने पर जान से मारने तक की धमकियां मिल रही हैं, जिससे उनमें दहशत का माहौल है।

वर्ष 2018 से चल रहा था धोखे का खेल

पुलिस के अनुसार, इस संगठित फर्जीवाड़े की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी। इस जाल में सबसे पहले महाराष्ट्र के रहने वाले एक सेवानिवृत्त कोस्ट गार्ड अधिकारी फंसे, जो उस समय कोलकाता में तैनात थे। घोटालेबाज ने कोस्ट गार्ड के न्यूटाउन स्थित कार्यालय में वाहन सेवा देने वाले एक व्यक्ति का इस्तेमाल किया, जिसने अधिकारियों से जान-पहचान बढ़ाई। इसी व्यक्ति के माध्यम से सेवानिवृत्त अधिकारी की मुलाकात पूर्वी कोलकाता के फूलबागान इलाके में रहने वाले एक शख्स से हुई।

पांच कंपनियों का मालिक निकला ठग

इस शातिर व्यक्ति ने खुद को पांच बड़ी कंपनियों का मालिक बताया और दावा किया कि वह होटल और इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करता है। हालांकि, बाद में ये कंपनियां छद्म चिटफंड कंपनियां निकलीं, जिनका एकमात्र उद्देश्य लोगों को ठगना था। पीड़ित अधिकारी का आरोप है कि निवेशकों को लुभाने के लिए यह झूठा प्रचार किया गया कि इन कंपनियों को देश और विदेश की पांच बहुराष्ट्रीय कंपनियों से करोड़ों रुपये के बड़े-बड़े ठेके मिले हुए हैं।

जाली दस्तावेजों का सहारा

ठगों ने निवेशकों का विश्वास जीतने के लिए फर्जी दस्तावेजों का भी सहारा लिया। उन्होंने नकली कागजात दिखाकर यह दावा किया कि एक प्रतिष्ठित कंपनी को आठ करोड़ रुपये का ठेका मिला है और इसके लिए एक सार्वजनिक बैंक ने दस करोड़ रुपये की राशि भी मंजूर कर दी है। इस तरह के अनगिनत जाली दस्तावेज दिखाकर भोले-भाले लोगों को निवेश के लिए फंसाया गया। सेवानिवृत्त अधिकारी ने शुरुआत में 24 लाख रुपये का निवेश किया, जो बाद में बढ़कर 52 लाख रुपये तक पहुंच गया। धोखेबाजों ने उन्हें और उनके कुछ साथियों को दो कंपनियों का निदेशक भी बना दिया, ताकि उनका भरोसा और मजबूत हो सके।

शक होने पर भी नहीं हुई कार्रवाई

लेकिन, जब सेवानिवृत्त अधिकारी को कंपनी की संदिग्ध गतिविधियों पर शक हुआ, तो उन्होंने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से शिकायत की, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी शिकायत पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच, निवेशकों की संख्या लगातार बढ़ती रही और आरोप है कि इस गिरोह ने कुल मिलाकर लगभग 450 लोगों से करीब 32 करोड़ रुपये की भारी रकम ठग ली।

रकम मांगी तो मिली धमकी

जब मार्च 2025 में निवेशकों ने अपनी निवेशित रकम वापस मांगनी शुरू की, तो कंपनी के लोगों का असली चेहरा सामने आ गया। उन्होंने निवेशकों को पैसे वापस करने के बजाय धमकाना शुरू कर दिया, जिससे पीड़ित और भी ज्यादा डर गए। आखिरकार, उस सेवानिवृत्त कोस्ट गार्ड अधिकारी ने हिम्मत दिखाई और हाल ही में कोलकाता के फूलबागान थाने में इस पूरे मामले की आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है और मुख्य आरोपित को जल्द ही पूछताछ के लिए तलब किया जा सकता है। इस घटना ने एक बार फिर वित्तीय धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों और भोले-भाले निवेशकों को ठगने वाले गिरोहों के खतरे को उजागर किया है।

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