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ग्रेजुएट कॉलेज में पुरुष प्रिंसिपल पर विवाद : केयू के 20 अंगीभूत कॉलेजों में सिर्फ दो महिला प्राचार्य, अब महिला कॉलेजों में भी पुरुषों को जिम्मेदारी मिलने पर बवाल

by Rakesh Pandey
ग्रेजुएट कॉलेज में पुरुष प्रिंसिपल पर विवाद , केयू के 20 अंगीभूत कॉलेजों में सिर्फ दो महिला प्राचार्य, अब महिला कॉलेजों में भी पुरुषों को जिम्मेदारी मिलने पर बवाल
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जमशेदपुर : कोल्हान विश्वविद्यालय के अंगीभूत महाविद्यालय द ग्रेजुएट स्कूल कॉलेज फॉर वीमेन की प्रिंसिपल डॉ मुकुल खंडेलवाल की सेवानिवृत्ति के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने डॉ बीएन प्रसाद को महाविद्यालय का नया प्रिंसिपल बनाया है। इनकी.नियुक्ति के साथ ही विवाद शुरू हो गया है।
सबसे पहला विवाद नियम-कायदे को लेकर है।

राजभवन की ओर से कॉलेजों में प्रिंसिपल की नियुक्ति को लेकर जारी सर्कुलर में कहा गया है कि राजभवन की अनुशंसा मिलाने की प्रत्याशा में डॉ बीएन प्रसाद की प्रिंसिपल के रूप में पदस्थापना की गई है। इससे पूर्व यह तय किया गया था कि जिस कॉलेज में प्रिंसिपल का पद खाली होगा। उसके लिए विवि आवेदन आमंत्रित करेगा। फिर जितने आवेदन आएंगे, उन्हें राजभवन को भेजा जाएगा।

राजभवन इस पर विचार कर जिसे योग्य समझेगा,उसे प्रिंसिपल बनाएगा। इसके आलोक में विश्वविद्यालय की ओर से स्थापना संबंधी अधिसूचना जारी की जाएगी। छात्र नेताओं का आरोप है कि ग्रेजुएट कॉलेज के मामले में कोल्हान विवि प्रशासन ने ऐसा नहीं किया है। सीधे डॉ बीएन प्रसाद को ग्रेजुएट कॉलेज में तबादले की सूचना जारी कर दी गई। प्रिंसिपल बनाकर केएस कॉलेज सरायकेला से जमशेदपुर भेज दिया।

पिछले एक वर्ष में यह पहला मामला है,जब इस प्रकार से किसी को नए कॉलेज में प्रिंसिपल बनाया गया है । विदित हो कि इससे पहले एबीएम कॉलेज में डॉ मुदिता चंद्रा का कार्यकाल पूरा होने के बाद प्रिंसिपल पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन लिया गया था। उस समय भी डॉ बीएन प्रसाद, डॉ विजय कुमार पीयूष समेत कई ने अपनी दावेदारी की थी। राजभवन ने डॉ विजय कुमार पीयूष को प्रिंसिपल नियुक्त किया था। दावा किया जा रहा है कि विश्वविद्यालय ने इस बार यह प्रक्रिया नहीं अपनाई, बल्कि अनुमति मिलने की प्रत्याशा में अधिसूचना जारी कर दी।

विश्वविद्यालय के एक प्रशासनिक अधिकारी से डॉ प्रसाद की बेहद नजदीकी:

छात्र नेता हेमंत पाठक का आरोप है कि डॉ बीए प्रसाद को जमशेदुपर के किसी कॉलेज में प्रिंसिपल बनाने कर भेजने की तैयारी विवि कई महीनों से कर रहा था। राजभवन के अनुमोदन के चक्कर में यह नहीं हो पा रहा था। इसी वजह है कि इस बार विवि ने राजभवन से अनुमोदन लिए बिना ही डॉ बीए प्रसाद को ग्रेजुएट कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया। छात्र संगठनों का कहना है कि विश्वविद्यालय के एक पदाधिकारी के साथ बेहद करीब है। इसी वजह से विवि ने उन्हें यह पुरस्कार दिया है।

केयू के 20 कॉलेजों में सिर्फ दो महिला प्रिंसिपल, महिला कॉलेजों में भी महिला नहीं:

वैसे तो कोल्हान विवि महिलाओं को बराबरी का अधिकार देने की बात करता है। लेकिन प्रिंसिपल बनाने के मामले में यहां पुरूषवादी सोच ही हावी है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केयू के 20 अंगीभूत कॉलेजों में से सिर्फ दो ही में महिला प्रिंसिपल है। जबकि 18 कॉलेजों की जिम्मेदारी पुरूषों के जिम्मे है। वहीं जिन दो महिलाओं को प्रिंसिपल बनाया गया है वे दोनों महिला कॉलेज में है। अगर को एजुकेशन वाले कॉलेजों की बात करें तो वहां एक भी महिला प्रिंसिपल नहीं हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि अब महिलाओं को शिक्षा के उच्च शिखर पर पहुंचाने के लक्ष्य के साथ खोले गए महिला कॉलेजों में भी शिक्षिकाओं को प्रिंसिपल बनने नहीं दिया जा रहा है,उन्हें दरकिनार कर पुरुषों को महिला कॉलेज की जिम्मेदारी दी जा रही है। ग्रेजुएट कॉलेज का मामला भी कुछ ऐसा ही है। कहने को तो यह महिला कॉलेज है लेकिन यहां प्रिंसिपल पुरूष को बना दिया गया है।

हर जगह रहे हैं विवादों में:

अगर डॉ बीएन प्रसाद की बात करें तो यह जहां भी रहे हैं, वहां विवादों से इनका नाता रहा है। वर्कर्स कॉलेज हो या घाटशिला कॉलेज हर जगह किसी न किसी विवाद की वजह से विवि को इन्हें स्थनांतरित करना पड़ा है। वहीं ग्रेजुएट कॉलेज में पदभार संभालने के बाद ही विवाद शुरू हो गया है।

महिला कॉलेज में प्रिंसिपल महिला हो यह जरूरी नहीं:

हालांकि अगर नियमों को देखें तो यह कही नहीं है कि एक महिला कॉलेज में सिर्फ महिला को ही प्रिंसिपल बनाया जाए। कई बार पुरूषों को भी जिम्मेदारी दी जाती है। इसके उदाहरण बहुत कम हैं। खासकर तब जब महिला को बराबर का अधिकार देने की बात हो।

छात्र संगठनों में अलग अलग राय:

वहीं डॉ बीए प्रसाद को ग्रेजुएट कॉलेज का प्रिंसिपल बनाए जाने को लेकर छात्र संगठनों ने में अलग अलग राय देखने को मिल रहा है। जहां जेसीएम समेत कुछ छात्र संगठन डॉ प्रसाद के नियुक्ति को सही बता रहे हैं। वहीं अभाविप जैसे कुछ संगठन महिला कॉलेज में महिला प्रिंसिपल की नियुक्ति की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर विवि महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने का दावा कर रहा है तो प्रिंसिपल पद पर भी उन्हें बैठाना चाहिए। खासकर महिला कॉलेजों में इसे अनिवार्य करना चाहिए।

वर्जन: फिलहाल मैं महत्वपूर्ण बैठक में हूं। इस विषय में शाम को बात करूंगा।

डॉ जयंत शेखर , रजिस्ट्रार केयू

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