नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में एक हाई-प्रोफाइल साइबर फ्रॉड का खुलासा हुआ है, जिसमें एक स्थानीय व्यवसायी से शेयर ट्रेडिंग के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी की गई। यह मामला एक संगठित साइबर गिरोह द्वारा अंजाम दिया गया, जो फर्जी व्हाट्सएप ग्रुप और नकली ऐप्स के जरिए लोगों को अपने जाल में फंसा रहा था।
फर्जी व्हाट्सएप ग्रुप से शुरू हुई ठगी
किरारी सुलेमान नगर निवासी व्यवसायी अक्षय गुप्ता ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में शिकायत दर्ज करवाई है कि उन्हें “A5 वेल्थ फ्रीडम” नामक एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया। इस ग्रुप में खुद को शेयर मार्केट विशेषज्ञ बताने वाले कुछ लोगों ने उन्हें निवेश के लिए प्रेरित किया।
नकली ऐप और झूठे लाभ का जाल
ग्रुप के सदस्यों ने गुप्ता को “गलाद अरब” नामक एक ऐप डाउनलोड करने को कहा, जिसे दुबई स्थित “गलाहद सिक्योरिटीज लिमिटेड” से संबद्ध बताया गया। ऐप पर नकली लाभ दिखाए गए और गुप्ता को यकीन दिलाया गया कि वे भारी मुनाफा कमा सकते हैं। फरवरी से मार्च 2025 के बीच, गुप्ता ने कुल 27 ट्रांजैक्शन के माध्यम से 4.04 करोड़ रुपये विभिन्न भारतीय बैंक खातों में ट्रांसफर किए।
लाभ निकालने पर मांगी गई और रकम, दी गई धमकियां
जब पीड़ित ने ऐप पर दिखाए गए 26 करोड़ रुपये के कथित लाभ को निकालने की कोशिश की, तो उन्हें “सरकारी कर”, “एफबीआई जांच” और अन्य फर्जी कारणों के नाम पर अतिरिक्त पैसे देने के लिए कहा गया। यह भी बताया गया कि अगर उन्होंने भुगतान नहीं किया, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
समन्वित साइबर अभियान का हिस्सा
जांच में सामने आया है कि यह धोखाधड़ी केवल दिल्ली तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह देशभर में 1 जनवरी से 5 अप्रैल 2025 के बीच फैले एक बड़े साइबर अभियान का हिस्सा है। इसमें वीपीएन, फर्जी सर्वर और तकनीकी धोखाधड़ी के अन्य साधनों का उपयोग किया गया।
आईएफएसओ यूनिट को सौंपी गई जांच
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अब इस मामले की जांच इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) यूनिट को सौंप दी है। पुलिस बैंक खातों, डिजिटल ट्रांजेक्शनों और व्हाट्सएप ग्रुप के संचालकों की पहचान में जुटी है। फिलहाल मुख्य आरोपी “हैरी सिंह” और तीन अन्य की तलाश जारी है।
दिल्ली पुलिस की नागरिकों को चेतावनी
पुलिस ने नागरिकों को आगाह किया है कि वे अनजान निवेश योजनाओं या ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग ग्रुप्स से सतर्क रहें। खासकर जब अत्यधिक लाभ का लालच दिया जाए, तो ऐसे प्रस्तावों से बचें और पहले उनकी वैधता की जांच जरूर करें।