जयपुर: राजस्थान सरकार का एक आदेश इन दिनों चर्चा में है। इसका हर तरफ विरोध हो रहा है। सरकार के आदेश के अनुसार राजस्थान में डेड बॉडी सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन करने वालों को 2 से लेकर 5 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। विधानसभा में इससे जुड़ा एक बिल पास हुआ है। इसके मुताबिक, अगर किसी के घर दुर्घटना या अन्य वजहों से मौत होती है और परिजन डेड बॉडी लेने से मना करते हैं तो उन्हें एक साल की सजा हो सकती है। अगर कोई नेता या गैर-परिजन शव का इस्तेमाल विरोध प्रदर्शन में करेंगे तो उन्हें 5 साल तक सजा हो सकती है। राजस्थान देश का पहला राज्य है जहां इस तरह का बिल लाया गया है। यही वजह है कि सरकार के इस फैसले का विरोध हो रहा है।
जनता की आवाज दबाने वाला कानून : भाजपा
राजस्थान सरकार के इस नए कानून को भाजपा ने जनता की आवाज दबाने वाला कानून बताया है। बीजेपी राजस्थान इकाई का कहना है कि जब भारी अन्याय होता है तभी परिवार मजबूरन ऐसा करते हैं। कोई भी नहीं चाहता कि अपने की मौत पर वह सड़क जाम करे। सरकार न्याय दिलाने की बजाय सजा दिलवा रही है। अभी तक ऐसा करने से पीड़ित परिवारों का न्याय मिल जाता था। लेकिन अब राजस्थान में उस पर भी रोक लगा दी गयी है।
नौकरी व पैसों की लालच में लोग शव रख करते हैं प्रदर्शन: सरकार
वहीं इस पूरे मामले में राजस्थान सरकार का अपना तर्क है। सरकार का कहना है कि राज्य में डेड बॉडी रखकर धरना देने और नौकरी-पैसों की मांग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। साल 2019 से 2023 तक ऐसे 306 मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें लोगों ने प्रदर्शन के दौरान न्याय की जगह नौकरी या पैसों की मांग की। अगर हम कानून नहीं लाते तो यह आंकड़ा और बढ़ता रहता। हालांकि सरकार का यह तर्क लोगों के गले नहीं उतर रहा है। उनका कहना है कि ऐसे तो हर विरोध प्रदर्शन में कुछ मांगे होती है। तो क्या सरकार हर प्रकार के विरोध प्रदर्शन पर रोक लगा देगी।