जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम जिले के उपायुक्त अनन्य मित्तल ने फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। उन्होंने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि जिले के एक भी घर को इस अभियान से बाहर न छोड़ा जाए। 10 से 25 फरवरी तक चल रहे इस अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग के साथ पांच एनजीओ की टीम घर-घर जाकर अल्बेंडाजोल और डीईसी की दवा का वितरण कर रही है। इसके अलावा, दवा सेवन की निगरानी भी की जा रही है।
अभियान में जनभागीदारी आवश्यक
उपायुक्त ने इस अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति दवा लेने से इंकार करता है, तो उन्हें फाइलेरिया के दुष्परिणाम और हाथी पांव की बीमारी के बारे में जागरूक किया जाए। इसके लिए विशेष रूप से आवासीय सोसाइटियों और कार्यस्थलों में पदाधिकारियों के माध्यम से जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया गया। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में कामकाजी व्यक्तियों के लिए दवा घर-घर वितरित करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने मॉनिटरिंग टीम को सक्रिय रहने और घरों के औचक निरीक्षण का आदेश दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दवा का वितरण सही तरीके से किया गया है।
फाइलेरिया के गंभीर खतरे
फाइलेरिया को आमतौर पर “हाथी पांव” के नाम से जाना जाता है, और यह मच्छर के काटने से फैलता है। यह एक विकलांगता उत्पन्न करने वाली बीमारी है, जो शरीर के विभिन्न अंगों, जैसे हाथ, पैर, स्तन और हाइड्रोसील को प्रभावित कर सकती है। बीमारी का संक्रमण बचपन में ही हो जाता है, लेकिन इसके लक्षण 5 से 15 साल बाद नजर आते हैं। फाइलेरिया का समय पर इलाज किया जा सकता है, लेकिन अगर उपचार नहीं किया जाता है, तो अंगों में सूजन स्थायी रूप से रह सकती है। इसके उपचार के लिए दवा का सेवन साल में एक बार करना जरूरी होता है।
दवा के सेवन का निर्देश व फायदे
दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना चाहिए। विशेष रूप से दो साल से छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को यह दवा नहीं दी जानी चाहिए। दवा लेने के बाद कुछ लोगों में हल्का बुखार, सरदर्द, उल्टी या दस्त हो सकता है। यह सामान्य है, क्योंकि दवा शरीर में फाइलेरिया के कीड़ों को खत्म कर रही होती है। इसलिए, थोड़ी सी असुविधा के बावजूद इस दवा का सेवन जरूरी है, ताकि फाइलेरिया का समूल उन्मूलन किया जा सके।