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Dhanbad ISBT Controversy : धनबाद में ISBT स्थानांतरण पर घमासान, सिंदरी विधायक चंद्रदेव महतो और बस संचालकों ने जताया कड़ा विरोध

Jharkhand News Hindi: पहले 28 करोड़ फंसे, अब नई जगह पर बवाल, विधायक ने की जांच की मांग, कहा- यात्रियों को परेशानी होगी, शहर के पास ही बने टर्मिनल

by Geetanjali Adhikari
Dhanbad ISBT Controversy
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Dhanbad (Jharkhand) : झारखंड के धनबाद शहर में अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (ISBT) बनाने की महत्वाकांक्षी योजना एक बार फिर विवादों के भंवर में फंस गई है। जिला प्रशासन द्वारा ISBT को बड़वाअड्डा के पांडुकी से हटाकर कतरास के लिलोरी मंदिर के पास स्थानांतरित करने की नई तैयारी पर सिंदरी विधायक चंद्रदेव महतो और स्थानीय बस संचालकों ने कड़ा विरोध शुरू कर दिया है।

पहले इस परियोजना के लिए पांडुकी में 34 एकड़ सरकारी और 83 डिसमिल रैयती जमीन चिन्हित की गई थी, जहां ISBT और ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण प्रस्तावित था, लेकिन जमीन विवाद के कारण कार्य अधर में लटक गया।

विधायक का सवाल-क्यों रोकी गई पांडुकी की योजना?

सिंदरी विधायक चंद्रदेव महतो ने 17 जनवरी 2025 को झारखंड सरकार के उप सचिव को पत्र लिखकर पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। विधायक ने आरोप लगाया है कि वर्ष 2019 में ISBT निर्माण के लिए लगभग 28 करोड़ रुपये जारी किए गए थे, लेकिन जमीन विवाद के चलते कार्य रोक दिया गया।

उन्होंने मांग की है कि योजना रोकने के लिए जिम्मेदार दोषियों पर कार्रवाई की जाए। साथ ही, पांडुकी की चिन्हित जमीन पर ही ISBT का निर्माण कराया जाए। विधायक महतो ने कहा कि जब पांडुकी में जमीन पहले से चिन्हित थी, तो कार्य क्यों रोका गया। अगर वह जमीन विवादित है भी, तो टर्मिनल का निर्माण शहर के नजदीक किसी और स्थान पर किया जाना चाहिए, ताकि जिले के यात्रियों को परेशानी न हो।

बस संचालकों ने जताई यात्रियों की असुविधा पर चिंता

जिला प्रशासन के इस निर्णय के विरोध में धनबाद बस स्टैंड के संचालक, मालिक और चालक भी खुलकर सामने आ गए हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि कतरास में टर्मिनल बनने से यात्रियों को भारी असुविधा होगी।

बस संचालकों का तर्क है कि कतरास धनबाद शहर से काफी दूर है और यातायात के साधन सीमित होने के कारण यात्रियों को वहां तक पहुंचना कठिन होगा। इस स्थानांतरण को लेकर उत्पन्न हुए विवाद ने एक बार फिर धनबाद में बुनियादी ढांचे के विकास पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जहां लाखों रुपये का बजट होने के बावजूद परियोजना जमीन पर नहीं उतर पाई है।

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