Home » Navratri 2024: ढोल-नगाड़ों की थाप पर जमकर होता है धुनुची नाच, इसके बिना अधूरी है मां दुर्गा की पूजा

Navratri 2024: ढोल-नगाड़ों की थाप पर जमकर होता है धुनुची नाच, इसके बिना अधूरी है मां दुर्गा की पूजा

बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान धुनुची डांस का महत्व है, जिसे बड़े उल्लास के साथ लोग करते हैं। इसे पूजा शुरू होने से दशमी के दिन तक किया जाता है।

by Priya Shandilya
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

दुर्गा पूजा या नवरात्रि, नाम अलग पर प्रेम और श्रद्धा वही ,दुर्गा पूजा भारत में सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, जो देवी दुर्गा की पूजा और उत्सव के लिए मनाया जाता है। वैसे तो इस त्योहार को पूरे देश में बड़े उल्लास से मनाया जाता है, लेकिन बंगाल की बात ही कुछ और है। दुर्गा पूजा का जैसा दृश्य बंगाल में देखने को मिलता है, वैसा शायद ही कहीं और देखने को मिलेगा। बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान धुनुची डांस का महत्व है, जिसे बड़े उल्लास के साथ लोग करते हैं। इसे पूजा शुरू होने से दशमी के दिन तक किया जाता है।

क्या होता है धुनुची डांस?

Dhunuchi Dance (धुनुची डांस) असल में शक्ति नृत्य है। बंगाल में यह नृत्य मां भवानी की शक्ति और ऊर्जा बढ़ाने के लिए किया जाता है। पुराणों के अनुसार, महिषासुर बहुत ही बलशाली था। उसे कोई नर, देवता मार नहीं सकते थे। मां भवानी उसका वध करने जाती हैं। इसलिए मां के भक्त उनकी शक्ति और ऊर्जा बढ़ाने के लिए धुनुची नृत्य करते हैं। धुनुची में कोकोनट कॉयर और हवन सामग्री (धुनो) रखा जाता है। उसी से मां की आरती की जाती है। धुनुची नृत्य सप्तमी से शुरू होता है और अष्टमी और नवमी तक चलता है।

धुनुची नाम क्यों और क्या है ये?

धुनुची म‍िट्टी से बना हुआ एक आकार होता है। इसके नीचे उसे पकड़ भी म‍िट्टी की बनी हुई होती है। इस धुनुची में सूखे नार‍ियल की जाट, जलता कोयला, कपूर और कई हवन सामग्रियों को रखकर इसे जलाया जाता है। पारंपरिक तौर पर यही धुनुची सबसे शुद्ध और सही मानी जाती है। इसे लेकर भक्‍त बंगाली धुनों पर स्‍थानीय ढोल-नगाड़ों, ज‍िन्‍हें ढाक कहते हैं की थाप पर नृत्‍य से देवी मां की उपासना करते हैं। धुनुची को जलाने के बाद इससे बड़ी लुभावनी खुशबू आती है। ऐसा माना जाता है कि इस सुगंध से मां प्रसन्न होती हैं।

कोलकाता से हुई इसकी शुरुआत

कभी कोलकाता से शुरू हुई थी धुनुची नृत्‍य की परंपरा आज पूरे देश में न‍िभाई जाती है। देश के कोने-कोने में बसे देवी भगवती के भक्‍त नवरात्र के द‍िनों में मां को प्रसन्‍न करने के ल‍िए धुनुची नृत्‍य करते हैं। मान्‍यता है देवी मां इस नृत्‍य से अत्‍यंत प्रसन्‍न होती हैं और साधक की मनोवांछित कार्यों की स‍िद्धी होती है।

Related Articles