Palamu (Jharkhand) : गढ़वा सिविल कोर्ट के पोक्सो के विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार की अदालत ने सोमवार को एक ऐसा फैसला सुनाया जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। अदालत ने अपनी ही नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म करने के घिनौने अपराध के दोषी पिता को उसके अंतिम सांस तक आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही, अदालत ने आरोपी पर एक लाख रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया है। इस जघन्य अपराध का मामला 15 मई 2023 को नाबालिग लड़की के दादा द्वारा दर्ज कराया गया था, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच शुरू की थी।
दादी ने खोला दुष्कर्म का राज, दादा बने पीड़िता की आवाज
पीड़िता अपने ही घर में गुमसुम और मायूस रहने लगी थी। उसकी उदासी और खामोशी को देखकर दादी ने जब उससे प्यार से पूछताछ की, तो उसने अपने साथ हुई भयावह घटना की पूरी जानकारी दी। बाद में, जब दादा ने अपनी पोती से इस बारे में पूछा, तो उसने बताया कि ईद से पहले रोजा के समय उसके पिता ने उसके साथ दुष्कर्म किया था। पीड़िता ने यह भी बताया कि उसके ‘अब्बू’ ने घर में कई बार उसके साथ गलत काम किया और उसे डरा-धमका कर कहा कि अगर उसने यह बात किसी को बताई तो वह उसकी जीभ काट देंगे और उसे डैम में फेंक देंगे। अपनी मासूमियत में डरी सहमी बच्ची ने यह बात अपनी अम्मी को भी बताई थी, लेकिन शायद डर के कारण आगे कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। जब परिवार के अन्य सदस्यों ने आरोपी पिता को समझाने और पूछताछ करने की कोशिश की, तो वह गाली-गलौज पर उतर आया और उन्हें मारपीट करने की धमकी दी।
पंचायत भी नहीं दिला सकी न्याय, आखिरकार दर्ज हुई एफआईआर
पीड़िता के दादा ने इस गंभीर मामले को लेकर गांव में पंचायत भी बुलाई, ताकि सामाजिक स्तर पर कोई समाधान निकल सके। पंचायत के बाद, जब दादा ने अपनी नाबालिग पोती को अपने साथ रखने का फैसला किया, तो आरोपी पिता उन्हें जान से मारने की धमकी देने लगा। ऐसी स्थिति में, पीड़िता के दादा के पास पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने के अलावा कोई और चारा नहीं बचा।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई, कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
20 मई 2023 को गढ़वा पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया और उसे जेल भेज दिया। पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता (भादवि) की धारा 376 एबी और पॉक्सो एक्ट की धारा 5/6 के तहत आरोपी के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया। न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विभिन्न धाराओं में संज्ञान लिया और आरोपी के विरुद्ध आरोप गठित कर त्वरित सुनवाई शुरू की। अभियोजन पक्ष को अपने साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए तत्काल तिथियां निर्धारित की गईं। लोक अभियोजक उमेश दीक्षित ने अदालत में आठ महत्वपूर्ण गवाहों के बयान दर्ज कराए, जबकि बचाव पक्ष की ओर से केवल दो गवाह पेश किए गए। उपलब्ध दस्तावेजों और साक्ष्यों का गहन अवलोकन करने के बाद, न्यायालय ने आरोपी का बयान दर्ज किया और बचाव पक्ष के अधिवक्ता नित्यानंद दुबे को बहस करने का अवसर प्रदान किया। लोक अभियोजक उमेश दीक्षित ने भी अपना पक्ष मजबूती से रखा।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, न्यायालय ने आरोपी को नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के जघन्य अपराध का दोषी करार दिया। सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए, विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार ने आरोपी पिता को उसके जीवन के अंतिम क्षण तक सश्रम कारावास और 10 हजार रुपये के आर्थिक जुर्माने की सजा सुनाई। न्यायालय ने न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुए निर्णय की एक प्रति पीड़िता को निःशुल्क प्रदान करने का भी आदेश दिया। यह फैसला न केवल पीड़िता को न्याय दिलाता है, बल्कि समाज में एक कड़ा संदेश भी देता है कि ऐसे जघन्य अपराधों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।