New Delhi : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शनिवार को देश के जानेमाने कोचिंग संस्थान फिटजी (FIITJEE) पर एक सनसनीखेज आरोप लगाया है। ईडी का कहना है कि फिटजी ने हजारों विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों से शैक्षणिक सेवाएं प्रदान करने के नाम पर 200 करोड़ रुपये से अधिक की भारी रकम वसूली, लेकिन बदले में उन्हें अपेक्षित शिक्षा नहीं दी गई। संघीय जांच एजेंसी ने इसे गंभीर वित्तीय अनियमितता और धन की हेराफेरी का स्पष्ट मामला बताया है।
छापेमारी में नकदी और आभूषण जब्त
ईडी ने एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि धन शोधन की जांच के तहत 24 अप्रैल को फिटजी के निदेशक डी के गोयल, कंपनी के अन्य उच्च अधिकारियों और उनके कार्यालयों सहित विभिन्न परिसरों पर छापेमारी की गई। इस कार्रवाई के दौरान ईडी ने 10 लाख रुपये की नकदी और 4.89 करोड़ रुपये के मूल्य के आभूषण जब्त किए हैं। यह छापेमारी नोएडा, दिल्ली और गुरुग्राम स्थित सात अलग-अलग परिसरों में की गई। हालांकि, ईडी द्वारा लगाए गए इन गंभीर आरोपों पर फिटजी या उसके प्रवर्तकों की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।
FIR के आधार पर ED की कार्रवाई
धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज ईडी का यह मामला विभिन्न शहरों में विद्यार्थियों और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के अभिभावकों द्वारा पुलिस में दर्ज कराई गई कई प्राथमिकियों पर आधारित है। इन शहरों में नोएडा, लखनऊ, दिल्ली और भोपाल जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। इन प्राथमिकियों में अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि फिटजी के उच्च प्रबंधन ने गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक सेवाएं देने का वादा करके विद्यार्थियों और अभिभावकों से मोटी फीस वसूली, लेकिन अपने वादे को पूरा करने में बुरी तरह विफल रहा। अभिभावकों ने फिटजी पर बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और शैक्षिक कदाचार में लिप्त होने का गंभीर आरोप लगाया है।
चार सत्रों में 14 हजार से अधिक छात्रों से वसूली गई फीस
ईडी की गहन जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच एजेंसी ने पाया कि फिटजी ने वर्ष 2025-26 से लेकर 2028-29 तक के चार शैक्षणिक सत्रों के लिए कुल 14,411 विद्यार्थियों से लगभग 250.2 करोड़ रुपये बतौर शुल्क वसूले। ईडी ने स्पष्ट रूप से कहा, “फिटजी ने मौजूदा बैच के विद्यार्थियों से शैक्षिक सेवाएं प्रदान करने के नाम पर भारी मात्रा में धन एकत्र किया, जबकि अंततः वह सेवाएं प्रदान नहीं की गईं।” ईडी ने आगे बताया कि इस धन का निजी और अनधिकृत तरीके से इस्तेमाल किया गया और यहां तक कि शिक्षकों को भी समय पर वेतन का भुगतान नहीं किया गया। इसके परिणामस्वरूप, मुंबई और दिल्ली के अलावा गाजियाबाद, लखनऊ, मेरठ, नोएडा, भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, फरीदाबाद और गुरुग्राम सहित कई अन्य स्थानों पर स्थित 32 कोचिंग सेंटर अचानक बंद हो गए, जिससे लगभग 15,000 विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को भारी निराशा और परेशानी का सामना करना पड़ा।
गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के संकेत
ईडी ने यह भी जानकारी दी कि तलाशी अभियान के दौरान उन्हें “अभियोजनयोग्य” महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल उपकरण बरामद हुए हैं। एजेंसी का कहना है कि इन सामग्रियों से “गंभीर” वित्तीय अनियमितताओं के स्पष्ट संकेत मिलते हैं। प्रारंभिक विश्लेषण से पता चलता है कि धन की “हेराफेरी” करने के लिए एक “व्यवस्थित” योजना बनाई गई थी। ईडी अब इन जब्त दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों की गहन जांच कर रही है ताकि इस पूरे मामले की तह तक पहुंचा जा सके और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके। इस खुलासे ने कोचिंग संस्थानों की कार्यप्रणाली और अभिभावकों के हितों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।