रामगढ़ : राष्ट्रीय फ्लोरोसिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत मंगलवार को रामगढ़ के छावनी बालिका मध्य विद्यालय में फ्लोरोसिस जांच शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में कुल 98 छात्राओं की फ्लोरोसिस जांच की गई, जिसमें से 12 छात्राओं में फ्लोरोसिस की पुष्टि हुई। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. महालक्ष्मी प्रसाद और जिला नोडल अधिकारी डॉ. तुलिका रानी ने स्वास्थ्य जांच की प्रक्रिया का निरीक्षण किया।
फ्लोरोसिस एक गंभीर बीमारी है: सिविल सर्जन का बयान
सिविल सर्जन डॉ. महालक्ष्मी प्रसाद ने बताया कि फ्लोरोसिस एक गंभीर और लाईलाज बीमारी है, जिसका बचाव ही इसका एकमात्र उपाय है। समय रहते इसका पता चलने से यह बीमारी हड्डियों तक नहीं पहुंचती है। फ्लोरोसिस की शुरुआत कम उम्र में दांतों पर भुरे धब्बे, पेट दर्द, कब्ज, और जोड़ों में दर्द जैसी समस्याओं के रूप में होती है। इसलिए इसका समय पर उपचार और रोकथाम आवश्यक है।
उन्होंने यह भी बताया कि कोई भी व्यक्ति सदर अस्पताल में निःशुल्क रूप से अपने पीने के पानी और पेशाब की फ्लोरोसिस जांच करा सकता है।
फ्लोरोसिस के कारण और बचाव के उपाय
डॉ. तुलिका रानी, जिला नोडल अधिकारी, ने बताया कि फ्लोरोसिस बीमारी अधिक फ्लोराइड तत्वों के कारण होती है, जो पीने के पानी में अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा सेंधा नमक, काला नमक, और लाल चाय के सेवन से भी फ्लोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है। उन्होंने सलाह दी कि बच्चों और अन्य लोगों को हरी पत्तेदार सब्जियां, खट्टे फल (संतरा, नींबू, आंवला) और दूध से बने पदार्थों का सेवन करना चाहिए ताकि शरीर में फ्लोराइड का जमाव न हो।
स्वास्थ्य जांच के परिणाम और उपचार
शिविर के दौरान डॉ. पल्लवी कौशल, जिला कंसलटेंट, और सीएचओ जूही ज्योति ने 98 बच्चों की जांच की। जांच में कुल 22 बच्चों में फ्लोरोसिस के लक्षण पाए गए, जिनके पेशाब के सैंपल लैब में भेजे गए। टेक्नीशियन जीतेन्द्र कुमार द्वारा इन सैंपलों की जांच की गई, और 12 बच्चों में फ्लोरोसिस की पुष्टि की गई। इन 12 छात्राओं का उचित इलाज किया जाएगा।
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