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Nepal Violence : नेपाल में हुई हिंसा पर एक्शन… पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह से की जाएगी नुकसान की वसूली

by Rakesh Pandey
Former- King- Gyanendra -Shah
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सेंट्रल डेस्क : भारत के पड़ोसी देश नेपाल में शुक्रवार को राजशाही के समर्थन में हुई हिंसा के बाद सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सख्त कदम उठाए हैं। इस हिंसा ने नेपाल की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है, जिसके बाद ओली सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। सरकार ने उनकी सुरक्षा में बदलाव करते हुए, पहले जहां 25 सुरक्षा कर्मियों द्वारा उन्हें सुरक्षा दी जाती थी, अब उसे घटाकर 16 कर दिया है। इसके साथ ही हिंसा में हुए नुकसान की भरपाई भी राजा ज्ञानेंद्र शाह से की जाएगी।

हिंसा के बाद सरकार की कार्रवाई

हिंसा के दौरान काठमांडू में कई सरकारी दफ्तरों, गाड़ियों और इमारतों को भारी नुकसान हुआ था। सरकार ने इस नुकसान की भरपाई के लिए काठमांडू नगर निगम के जरिए एक नोटिस जारी किया, जिसमें पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को 7.93 लाख नेपाली रुपये का जुर्माना थमाया गया और नुकसान की वसूली के आदेश दिए गए। यह कदम नेपाल सरकार द्वारा उठाया गया है ताकि हिंसा के दोषियों को जवाबदेह ठहराया जा सके और राजशाही समर्थकों के इस उग्र प्रदर्शन पर लगाम लगाई जा सके।

ग्राउंड रिपोर्ट : हिंसा के दृश्य

जब हम ग्राउंड पर पहुंचे तो हमें कई महत्वपूर्ण दृश्य देखने को मिले। पहले हम उस इमारत के पास पहुंचे, जो सबसे पहले प्रदर्शनकारियों के निशाने पर आई थी। यह इमारत काठमांडू के तीनकुने मैदान के पास स्थित थी, जहां राजशाही को लेकर जनसभा चल रही थी। जैसे ही यह सभा उग्र हुई, प्रदर्शनकारियों ने इस इमारत को अपना निशाना बना लिया। इस इमारत के ऊपर एक पत्रकार, जो टीवी चैनल के कैमरामैन थे, उनकी जलकर मौत हो गई थी और यह एक दर्दनाक घटना बन गई।

इसके बाद हम एकीकृत समाजवादी पार्टी के दफ्तर पहुंचे, जो पूरी तरह से जलकर खाक हो चुका था। यह पार्टी नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल की है, और इस राजनीतिक दल के दफ्तर को भी प्रदर्शनकारियों ने निशाना बनाया था। इस घटना से यह स्पष्ट हो गया कि हिंसा सिर्फ सरकारी संस्थाओं तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि राजनीतिक विरोधी दलों के दफ्तर भी प्रदर्शनकारियों के गुस्से का शिकार बने थे।

राजशाही की बहाली की बढ़ती मांग

नेपाल ने 2008 में राजशाही को समाप्त कर दिया था और इसे एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य बना दिया था। लेकिन, हाल के वर्षों में राजशाही की बहाली की मांग तेज हो गई है। विशेष रूप से 19 फरवरी को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह द्वारा लोकतंत्र दिवस के अवसर पर जनता से समर्थन की अपील के बाद, राजशाही के समर्थन में और भी आवाजें उठने लगीं।

शुक्रवार को काठमांडू में राजशाही और हिंदू राष्ट्र की बहाली की मांग कर रहे समर्थकों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें हुईं। इस दौरान कई घरों, इमारतों और सरकारी दफ्तरों में आग लगाई गई और काफी नुकसान हुआ। काठमांडू नगर निगम ने इस हिंसा के बाद राजा ज्ञानेंद्र शाह को नुकसान की भरपाई के लिए नोटिस भेजा, जो अब विवाद का विषय बन गया है।

सरकार की रणनीति और भविष्य

नेपाल सरकार की यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से दिखाती है कि वह राजशाही के समर्थन में उठे इस हिंसक आंदोलन को गंभीरता से ले रही है। सरकारी दफ्तरों और इमारतों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए पूर्व राजा से जुर्माना वसूलने का कदम उठाया गया है, जिससे यह संदेश भेजा जा रहा है कि हिंसा और अराजकता को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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