बीजिंग: भारत और चीन के बीच चल रहे तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद, दोनों देशों के बीच एक सकारात्मक मोड़ आया है। हाल ही में दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय बैठक में कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी है। यह खबर उन शिव भक्तों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है जो लंबे समय से इस पवित्र यात्रा के पुनः शुरू होने की उम्मीद कर रहे थे। बता दें कि पिछले पांच सालों से यह यात्रा भारतीय श्रद्धालुओं के लिए बंद थी।
कैलाश मानसरोवर का धार्मिक महत्व
कैलाश मानसरोवर यात्रा हिंदू धर्म के आस्थावान लोगों के लिए एक अत्यधिक महत्वपूर्ण यात्रा है। मान्यताओं के अनुसार, यह स्थान भगवान शिव का निवास है और इसे विश्व के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। कैलाश पर्वत को भगवान शिव की पूजा और तपस्या के स्थान के रूप में पूजा जाता है, और मानसरोवर झील के पास स्थित यह क्षेत्र तीर्थयात्रियों के लिए एक श्रद्धा का केंद्र रहा है।
क्यों बंद हुई थी यात्रा?
कोरोना महामारी के कारण यह यात्रा 2020 से बंद हो गई थी। इसके अलावा, 2020 में भारत-चीन सीमा पर तनाव और हिंसक झड़पों ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और भी तनावपूर्ण बना दिया था, जिसके कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा पर भी प्रभाव पड़ा। कोरोना काल के दौरान, कई सुरक्षा और स्वास्थ्य कारणों से यात्रा पर पाबंदी लगाई गई थी। इस बीच, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद ने स्थिति को और जटिल बना दिया था।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के रास्ते
कैलाश मानसरोवर यात्रा के तीन प्रमुख रास्ते हैं, जो भारत से तिब्बत (चीन) के क्षेत्र तक पहुंचते हैं। इनमें लिपुलेख दर्रा, नाथू ला दर्रा और शिगास्ते मार्ग शामिल हैं। ये तीन रास्ते भारतीय तीर्थयात्रियों को कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील तक पहुंचने की सुविधा प्रदान करते हैं। हालांकि, इन रास्तों के माध्यम से यात्रा करने के लिए चीनी पर्यटक वीजा आवश्यक होता है, क्योंकि कैलाश मानसरोवर चीन के अधिकार क्षेत्र में स्थित है।
भारत-चीन के बीच हुई सहमति
हाल ही में दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय बैठक में कई अहम मुद्दों पर सहमति बनी, जिनमें से एक महत्वपूर्ण मुद्दा कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का था। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी समकक्ष के साथ बैठक में इस यात्रा के पुनः संचालन की संभावना पर विचार किया गया। दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर सकारात्मक चर्चा हुई और उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में यात्रा फिर से शुरू हो सकती है।
इसके अलावा, दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के उपायों पर भी चर्चा की। भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीनी विशेष प्रतिनिधि वांग यी को भारत आने का निमंत्रण भी दिया और दोनों पक्षों ने सैन्य वार्ता के तंत्र को मजबूत करने के लिए सहमति जताई।
भारत-चीन रिश्तों में सुधार की दिशा
इस बैठक के दौरान दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच ठोस चर्चा हुई, जिसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा के पुनः संचालन के अलावा सीमा विवाद और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की दिशा में कई पहलुओं पर सहमति बनी। 2020 में भारत-चीन सीमा पर हुए टकराव के बाद से यह पहली बैठक थी, जिसमें दोनों देशों ने अपनी चिंताओं को साझा किया और समाधान की ओर कदम बढ़ाए।
चीन-भारत संबंधों पर बोले चीन के विदेश मंत्री वांग यी
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक अलग प्रेस रिलीज के अनुसार वांग ने कहा कि दोनों देशों के नेताओं ने चीन-भारत संबंधों को रणनीतिक ऊंचाई और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से देखने पर जोर दिया और महत्वपूर्ण पल में चीन-भारत संबंधों की बहाली और विकास की दिशा स्पष्ट की।
प्रेस रिलीज में कहा गया कि पिछले 70 सालों में चीन-भारत संबंधों के उतार-चढ़ाव पर नजर डालें तो दोनों पक्षों की ओर से संचित सबसे मूल्यवान अनुभव द्विपक्षीय संबंधों पर दोनों देशों के नेताओं के रणनीतिक मार्गदर्शन का पालन करना, एक-दूसरे के बारे में सही समझ स्थापित करना, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पांच सिद्धांतों का पालन करना और बातचीत और परामर्श के माध्यम से मतभेदों को ठीक से संभालना है।
वांग ने जोर देकर कहा कि आज की विशेष प्रतिनिधि बैठक दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी आम सहमति को लागू करने के लिए समय पर किया गया प्रभावशाली उपाय है। उन्होंने कहा कि यह कड़ी मेहनत से हासिल किया गया है और यह संजोकर रखने लायक है।
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