सेंट्रल डेस्क : एक लड़का है, जिसने रतन टाटा के कंधे पर हाथ रखकर कई तस्वीरें खिंचवाई। उसका नाम- शांतनु नायडू है। कहते हैं, वो रतन टाटा जी को असिस्ट करता था यानी सलाह देता था। 86 वर्ष के रतन टाटा को कोई क्या सलाह दे सकता है, जिसने सारी जिदंगी अनुभव एकत्रित किया हो। 28 साल के सबसे यंग दोस्त शांतनु ने उनकी दोस्ती औऱ भरोसा दोनों ही जीता था।
युवाओं के बीच एक इंस्पिरेशन रहे टाटा की स्पीच और कहानियां सोशल मीडिया पर हमेशा वायरल रहीं। शांतनु का टाटा से कोई पारिवारिक रिश्ता नहीं रहा, फिर भी दोनों एक-दूसरे से जुड़े रहे। शांतनु के काम से प्रभावित होकर टाटा ने खुद उन्हें फोन कर कहा था कि मैं आपके काम से बेहद प्रभावित हूं। क्या आप मेरे असिस्टेंट बनेंगे।
रतन टाटा के निधन पर क्या कहा, शांतनु ने
शांतनु ने रतन टाटा के लिए शोक व्यक्त करते हुए लिखा कि ‘इस दोस्ती ने अब मुझमें जो खालीपन छोड़ा है, उसे भरने में मैं अपनी जिंदगी बिता दूंगा। दुख ही प्यार के लिए चुकाई जाने वाली कीमत है। गुड बाय, माइ लाइटहाउस’।
कैसे हो गए शांतनु नायडू इतने खास
आजीवन 3800 करोड़ का अंपायर संभालने वाले रतन टाटा को शांतनु स्टार्टअप में निवेश करने की सलाह देते थे। इंडियन बिजनेसमैन, इंजीनियर, जूनियर असिंस्टेट, डीजीएम, सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर, राइटर और उद्यमी जैसे कई रोल निभाने वाले शांतनु का जन्म 1993 में पुणे, महाराष्ट्र में हुआ। शांतनु टाटा ट्रस्ट के उप महाप्रबंधक के रूप में पूरे भारत में चर्चित हैं। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद टाटा ग्रुप के साथ काम करने वाले शांतनु अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी हैं।
कैसे प्रभावित हुए शांतनु से रतन टाटा
2014 में शांतनु की रतन टाटा से पहली मुलाकात हुई छी, लेकिन उनका सपना तब पूरा हुआ, जब 2017 में एक फेसबुक पोस्ट पढ़ने के बाद रतन टाटा ने उन्हें एक मीटिंग का न्योता भेजा। दरअसल शांतनु ने आवारा कुत्तों के लिए एक रिफ्लेक्टर के साथ डॉग कॉलर बनाया था, जिससे रात के अंधेरे में भी वे चालकों को दिखाई दें और दुर्घटना से बच सकें। चूंकि वे एक स्टूडेंट थे, तो उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे, इसलिए कॉलर के बेस मैटेरियल के लिए उन्होंने डेनिम का उपयोग किया था। कई घरों से उनकी टीम ने डेनिम पैंट इकट्ठा कर इसे बनाया था।
इसके बाद पुणे की सड़कों पर करीब 500 डॉग्स को ये रिफ्लेक्टर कॉलर पहनाया गया था। इस नेकी की खबर टाटा कंपनी के समाचार पत्र में प्रकाशित की गई, जिसके बाद शांतनु को टाटा का न्योता मिला। रतन टाटा खुद भी डॉग लवर थे। उन्होंने मुंबई में एक मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल भी खोला था, जहां सीटी स्कैन व अल्ट्रासाउंड जैसी तमाम सुविधाएं हैं।
अब रतन टाटा के निधन के बाद यह चर्चा जोरों पर है कि क्या शांतनु नायडू टाटा समूह के उत्तराधिकारी बनेंगे।
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