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सरकारी अस्पतालों में अब इलाज के लिए नहीं लगानी होगी पैरवी, नेशनल मेडिकल कमीशन करेगी सीधे निगरानी

by Rakesh Pandey
सरकारी अस्पतालों में अब इलाज के लिए नहीं लगानी होगी पैरवी
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हेल्थ डेस्क, रांची/सरकारी अस्पतालों में अब इलाज के लिए नहीं लगानी होगी पैरवी : सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बेहतर चिकित्सा कैसे मिले, इसपर सरकार का विशेष ध्यान है। इसे लेकर लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। अब नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने एक नई सिस्टम तैयार की है जिसके माध्यम से आपको ढेर सारी सुविधाएं मिलने वाली है।

सरकारी अस्पतालों में अब इलाज के लिए नहीं लगानी होगी पैरवी

सरकारी अस्पतालों में अब इलाज के लिए नहीं लगानी होगी पैरवी

सरकारी अस्पतालों को लेकर कई तरह के सवाल चलते आते है, जैसे कि मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में मरीजों को सर्जरी के लिए एक-एक माह तक का इंतजार करना पड़ता है। यहां तक की बड़े-बड़े नेता व अधिकारियों की पैरवी करनी होती है। इसके बावजूद ऑपरेशन समय पर नहीं होता है लेकिन अब इस तरह की व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा हैं। नेशनल मेडिकल कमीशन इन सभी चीजों पर पूरे गहराई से नजर रखेगी।

नेक्सजेन ई-हॉस्पिटल से जुड़ रहा अस्पताल

सरकारी अस्पतालों को नेक्सजेन ई-हॉस्पिटल योजना से जोड़ा जा रहा है। इसके तहत झारखंड के जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल को जोड़ा लिया गया है। इस योजना को नेशनल मेडिकल कमीशन ने तैयार किया है जिसके माध्यम से वे देश के किसी भी मेडिकल कालेज की जानकारी तत्काल मिलेगी। एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक डा. नकुल प्रसाद चौधरी ने बताया कि यह काफी अच्छी योजना है। इससे मरीजों के इलाज में देरी होने की शिकायतें दूर हो जाएगी। वहीं, सारा डाटा भी ऑनलाइन दर्ज होगा। इसमें मरीज भर्ती होने से लेकर जांच रिपोर्ट सहित कब कौन डॉक्टर देखें वे सारी सुविधाएं उपलब्ध होगी।

सरकारी अस्पतालों में अब इलाज के लिए नहीं लगानी होगी पैरवी

सरकारी अस्पतालों में अब इलाज के लिए नहीं लगानी होगी पैरवी मिलेगी सुविधाएं

नेक्सजेन ई-हास्पिटल योजना से जुड़ने के बाद अस्पताल के लैब सेवाएं, मानव संसाधन का डाटा तथा मेडिकल रिकार्ड का प्रबंधन करना बहुत सरल हो जाएगा। एनएमसी दिल्ली से इसकी सीधे निगरानी की जाएगी। वहीं, यह सिस्टम पूरी तरह से लागू होने से एमजीएम को सालाना लगभग चार लाख रुपये की बचत होगी। फिलहाल एमजीएम आनलाइन सिस्टम को संचालित करने के लिए नूरा साफ्टवेयर की खरीदारी करती है, जिसपर हर साल लगभग चार लाख रुपये खर्च होता है। लेकिन, अब लागू होने वाले नए साफ्टवेयर के लिए एमजीएम को एक रुपये भी नहीं देना होगा।

डॉक्टर नहीं बना पाएंगे बहाना

अभी तक आपको यह भी शिकायत मिलती होगी कि डाक्टर वार्ड में नहीं आते या आते भी हैं तो रोगी को नहीं देखते। जिसके कारण न तो समय पर ऑपरेशन हो पाता है और न ही मरीज जल्दी ठीक हो पाते हैं लेकिन अब यह समस्या जल्द दूर होने वाली है। दरअसल, इस सिस्टम के माध्यम से ऐसे चिकित्सकों पर भी कड़ी नजर रखी जाएगी। दरअसल, इसके माध्यम से हर चीजों पर नजर रखीं जाएगी और उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

एमजीएम में रोजाना 1500 से अधिक आते मरीज

एमजीएम कोल्हान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। यहां पूर्वी सिंहभूम जिले के अलावा सरायकेला-खारसावां, पश्चिमी सिंहभूम, बंगाल व ओडिशा से भी मरीज इलाज कराने आते हैं। ऐसे में यहां मरीजों की भारी भीड़ होती है। रोजाना ओपीडी में लगभग 1200 व इमरजेंसी विभाग में 300 मरीज आते हैं। कभी-कभार तो मरीजों की संख्या काफी बढ़ जाती है, जिससे अस्पताल की व्यवस्था अव्यवस्थित हो जाती है।

ऑनलाइन हाजिरी पर भी कड़ी निगरानी

नेशनल मेडिकल कमीशन ने चिकित्सकों के ऑनलाइन हाजिरी पर भी कड़ी निगरानी कर रही है। अभी हाल में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के लगभग एक दर्जन से अधिक चिकित्सकों को इस मामले को लेकर शोकॉज किया गया था। दरअसल, ये चिकित्सक ऑनलाइन हाजिरी नहीं बना रहे थे, जिसके आलोक में उनका वेतन तक रोक दिया गया। उसके बाद से इसपर कड़ी नजर रखी जा रही है। प्रिंसिपल डॉ. केएन सिंह ने भी ऑनलाइन हाजिरी को लेकर सख्त कदम उठाया है।

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