रांची: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर आदिवासियों की खेती योग्य जमीन हड़पने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि रांची के नगड़ी क्षेत्र में आदिवासी किसानों की उपजाऊ भूमि पर बिना ग्रामसभा की सहमति के जबरन निर्माण कार्य कराया जा रहा है, जो पूरी तरह गैरकानूनी और लोकतंत्र विरोधी है। बाबूलाल मरांडी ने नगड़ी में प्रदर्शन कर रहे आदिवासी रैयतों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं और उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार खेतिहर जमीन को उजाड़कर विकास के नाम पर विनाश की नींव रख रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब रांची के चारों ओर बंजर जमीन उपलब्ध है, तो उपजाऊ खेतों पर निर्माण की क्या आवश्यकता है? मौके पर अशोक बड़ाईक, बाल्कू उरांव सहित बड़ी संख्या में आदिवासी रैयत मौजूद थे।
खेती आदिवासियों की आजीविका का मुख्य साधन
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने जोर देते हुए कहा कि खेती किसानी ही आदिवासियों की आजीविका का मुख्य साधन है। यदि उनसे जमीन छीन ली जाएगी, तो उनका जीवन संकट में पड़ जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि बिना ग्रामसभा की अनुमति के एक इंच भी जमीन अधिग्रहित नहीं करने दी जाएगी। बाबूलाल ने इस मामले को विधानसभा से लेकर न्यायालय तक ले जाने की बात कही और कहा कि भाजपा इस अन्याय के खिलाफ जनांदोलन खड़ा करेगी।
लॉ यूनिवर्सिटी के निर्माण में भी खेती योग्य जमीन
प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी याद दिलाया कि इससे पहले भी लॉ यूनिवर्सिटी के निर्माण के नाम पर खेती योग्य जमीन ली गई थी, जिसके खिलाफ स्थानीय लोग लंबे समय तक धरने पर बैठे थे। उन्होंने कहा कि अब एक बार फिर सरकार की नजर उसी जमीन पर है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर सीधा हमला करते हुए कहा कि यह सरकार झारखंड को बेचने पर आमादा है। ग्रामीणों द्वारा दिखाए गए दस्तावेजों में न अधिसूचना है, न मुआवजा और न ही ग्रामसभा की सहमति, जो स्पष्ट करता है कि पूरा मामला नियमों की अनदेखी कर आगे बढ़ाया जा रहा है।