चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के शनिवार को होने वाले बहुप्रतीक्षित चुनावों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। अदालत ने यह कार्रवाई हरियाणा कुश्ती संघ (एचडब्ल्यूए) द्वारा दायर की गयी याचिका पर की है।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने डब्ल्यूएफआई के चुनावों पर लगाई रोक
एचडब्ल्यूए ने हरियाणा एमेच्योर कुश्ती संघ को डब्ल्यूएफआई के चुनाव में मतदान का अधिकार देने के फैसले को चुनौती दी थी। हरियाणा कुश्ती संघ के अध्यक्ष सांसद दीपेंद्र हुड्डा हैं। हरियाणा कुश्ती संघ का प्रतिनिधित्व कर रहे एडवोकेट रविंदर मलिक ने कहा कि एचडब्ल्यूए राज्य में एक पंजीकृत सोसायटी है और डब्ल्यूएफआई से मान्यता प्राप्त है।
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएफआई के नियमों और संविधान के अनुसार कोई भी मान्यता प्राप्त पंजीकृत संस्था डब्ल्यूएफआई चुनाव में वोट डालने के लिए दो प्रतिनिधियों को भेज सकती है।
हरियाणा एमेच्योर कुश्ती संघ ने दावा :
एचडब्ल्यूए के वकील ने कहा कि एक अन्य संस्था हरियाणा एमेच्योर कुश्ती संघ ने दावा किया है कि वह डब्ल्यूएफआई के साथ-साथ हरियाणा ओलंपिक संघ (एचओए) से भी मान्यता प्राप्त है। हरियाणा एमेच्योर कुश्ती संघ ने दावा किया कि एचडब्ल्यूए चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकता क्योंकि वह डब्ल्यूएफआई से मान्यता प्राप्त नहीं है।
वकील ने कहा कि चुनाव अधिकारी ने हरियाणा एमेच्योर कुश्ती संघ के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि वह हरियाणा कुश्ती संघ के साथ डब्ल्यूएफआई से मान्यता हासिल करने की शर्तों को पूरा करते हैं। उन्होंने कहा कि हमने चुनाव अधिकारी के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जिसमें कहा गया है कि हरियाणा एमेच्योर कुश्ती संघ डब्ल्यूएफआई से मान्यता प्राप्त हो सकता है, लेकिन यह एचओए से मान्यता प्राप्त नहीं है, जिसका मतलब कि वह चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने का हकदार नहीं हैं।
कोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद लगायी रोक :
एचडब्ल्यूए के प्रतिनिधि मलिक ने कहा कि यदि हरियाणा एमेच्योर कुश्ती संघ को चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी जाती है, तो इससे पूर्वाग्रह पैदा होगा और साथ ही डब्ल्यूएफआई चुनाव भी अवैध माने जाएंगे। अदालत ने इस पर संज्ञान लिया और कहा कि यह किसी के प्रति पूर्वाग्रह पैदा कर सकता है और प्रथम दृष्टया लगता है कि हरियाणा एमेच्योर कुश्ती संघ वोट डालने की पात्रता नहीं रखता है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विनोद एस भारद्वाज की अदालत ने डब्ल्यूएफआई के चुनावों पर रोक लगा दी है।
और लगती रही रोक…
भारतीय ओलिंपिक संघ ने डब्ल्यूएफआई के संचालन के लिए तदर्थ पैनल नियुक्त किया था जिसने पहले चुनाव की तिथि छह जुलाई तय की थी लेकिन महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलंगाना, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की गैर मान्यता प्राप्त राज्य इकाइयों ने सुनवाई के लिए पैनल से संपर्क किया, जिसके बाद चुनाव की तिथि 11 जुलाई निर्धारित की गयी। इन राज्य इकाइयों ने कहा था कि उनको बाहर करना सही नहीं था।
तदर्थ पैनल ने इन राज्यों के प्रतिनिधियों की बात सुनी लेकिन इसके बावजूद 11 जुलाई को चुनाव नहीं हो सके क्योंकि असम कुश्ती संघ ने चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार मांगने के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अदालत ने इसके बाद चुनाव पर रोक लगा दी। उच्चतम न्यायालय ने इसके बाद गुवाहाटी उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाकर 12 अगस्त को चुनाव कराने का रास्ता साफ किया था लेकिन शुक्रवार के आदेश के बाद चुनाव प्रक्रिया पर सवालिया निशान लग गया है।