RANCHI: कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग झारखंड की ओर से रविवार को श्रीकृष्ण लोक प्रशासन संस्थान रांची में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्मिक सचिव प्रवीण टोप्पो ने कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रीय एकता, संस्कृति और संवाद की सशक्त भाषा है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक कार्यों को आमजन तक पहुंचाने और उन्हें सरल बनाने में हिंदी ने बड़ी भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि हिंदी को और अधिक सरल, सहज तथा समृद्ध बनाने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। प्रशासनिक पत्राचार से लेकर दैनिक जीवन तक हिंदी का प्रयोग बढ़ाकर इसे और व्यापक बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि विभाग द्वारा भारत सरकार के साथ होने वाला पत्राचार भी हिंदी में ही किया जाता है, जिससे हिंदी का प्रभाव राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर और सशक्त हुआ है। कार्यक्रम में विशेष सचिव ओम प्रकाश साह, पूर्व अध्यक्ष रांची विश्वविद्यालय डॉ. हीरानंद प्रसाद, विभिन्न विभागों के अधिकारी और गणमान्य लोग उपस्थित थे।
हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार प्रयासरत
सचिव टोप्पो ने कहा कि झारखंड सरकार हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और इसके प्रभावी क्रियान्वयन की दिशा में लगातार कदम उठा रही है। विभाग द्वारा योजनाओं, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों के जरिए हिंदी को प्रशासन और तकनीकी क्षेत्रों में बढ़ावा दिया जा रहा है।
समारोह में साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित लेखिका और रामलखन सिंह यादव कॉलेज की सहायक प्राध्यापक डॉ. पार्वती तिर्की ने कहा कि हिंदी सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और साहित्यिक धरोहर भी है। उन्होंने नई पीढ़ी तक हिंदी की गहराई को पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया। वक्ताओं ने बिजनेस, मैनेजमेंट, मेडिकल, इंजीनियरिंग, ई-गवर्नेंस और डिजिटल प्लेटफार्मों पर हिंदी के अधिक प्रयोग की वकालत की। साथ ही विद्यालय से लेकर उच्च शिक्षा तक हिंदी को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया।
प्रतियोगिता के विजेताओं को मिला सम्मान
हिंदी दिवस के मौके पर आयोजित निबंध और लघु कथा प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया गया। निबंध लेखन प्रतियोगिता में जितेंद्र कुमार मुंडा रांची फर्स्ट, हर्षिता कुमारी गुमला सेकेंड और प्रिया कुमारी रामगढ़ थर्ड रही। वहीं लघु कथा लेखन प्रतियोगिता में युवराज शांतनु धनबाद फर्स्ट, राहुल कुमार कर्रा सेकेंड और अनुराधा कुमारी देवघर थर्ड रही।