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भाषा को किसी शब्द से अलंकृत करने की जरूरत नहीं: श्रीनाथ विश्वविद्यालय के हिंदी महोत्सव में बोले IAS मुकेश कुमार

by Rakesh Pandey
Hindi Mahotsav
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जमशेदपुर: श्रीनाथ विश्वविद्यालय में सातवां अंतरराष्ट्रीय श्रीनाथ हिंदी महोत्सव (Hindi Mahotsav) की शुरुआत गुरूवार काे हाे गयी। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी व झारखंड अंकेक्षण विभाग के निदेशक मुकेश कुमार, आदित्यपुर नगर नियम के आयुक्त आलोक कुमार दूबे, वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव उपस्थित थे। अतिथियाें ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। माैके पर कुलाधिपति सुखदेव महतो ने सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि हिन्दी हमारी राजभाषा है और यह हमें एकता के सूत्र में बांधने का कार्य करती है। प्रत्येक हिन्दुस्तानी की पहचान हिन्दी से है।

यह महोत्सव (Hindi Mahotsav) हमारे लिए केवल एक महोत्सव मात्र नहीं है, इससे हमारी भावनायें जुड़ी हुई हैं। वहीं मुकेश कुमार ने कहा कि इस प्रकार के आयाेजन के लिए विवि बधाई का पात्र है। पहले दिन डॉ. सुनिल केडिया, डॉ. रितिका केडिया, कोल्हान विश्वविद्यालय के सीसीडीसी. डॉ. मनोज कुमार महापात्र, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के कार्यकारी सदस्य धर्मेन्द्र सिंह, शिक्षक प्रतिनिधी के रूप में डॉ. शालीग्राम मिश्र, डॉ. आरआर राकेश, डॉ. सुखनंदन सिंह इत्यादि उपस्थित थे।

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चिंतन मनन सत्र में वक्ताओं ने दिया सवालाें के जवाब:

उद्घाटन के पश्चात चिंतन-मनन सत्र का आयोजन किया गया, जिसके समन्वयक नर्मदेश्वर पाठक एवं डॉ. भाव्या भूषण थी। सत्र का विषय था ‘हिंदी ज्ञान भाषा बनकर ही बच सकती है’। इसमें अतिथियों से हिंदी से संबंधित कई प्रश्न समन्वयको के द्वारा पूछे गए। वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव से पहला प्रश्न किया गया कि क्या ऐसा करें कि हिंदी ज्ञान की भाषा बन जाए, साथ ही आज हिंदी के ऊपर अंग्रेजी रानी महारानी बनी हुई है और हिंदी को उसके आगे कमतर समझा जा रहा है।

इस पर राहुल देव ने कहा कि हिंदी को रानी या महारानी बनाने की जरूरत नहीं है। कोई भी भाषा किसी भी भाषा पर अपना आधिपत्य नहीं जमा सकती है। हमें ही इस क्रमबद्धता को छोड़ना होगा। वहीं मुकेश कुमार से प्रश्न करते हुए डॉ. भाव्य भूषण ने पूछा कि ज्ञान भाषा तो हिंदी बन जाएगी लेकिन क्या हिंदी को बचाने के लिए ज्ञान भाषा ही बनाना आवश्यक है। उसे क्यों आम भाषा नहीं बनना चाहिए ? इस पर मुकेश कुमार ने उत्तर देते हुए कहा कि हमें भाषा को अलंकृत करने की जरूरत नहीं है। वह अपना रास्ता खुद बनाती चलती है। भाषा के लिए वस्तुतः सामाजिक स्वीकृति अत्यंत आवश्यक है।

Hindi Mahotsav: पहले दिन ये प्रतियाेगिताएं आयाेजित हुईं:

हास्य कवि सम्मेलन, प्रश्नोत्तरी (प्रथम चरण), दीवार सज्जा, मुद्दे हमारे विचार आपके, मुखड़े पर मुखड़ा, लिखो कहानी, संपादकीय लेखन, व्यक्तित्व झांकी इत्यादि थी।

विश्वविद्यालय पीसीआई, एनसीटीई से संबद्धता प्राप्त: डाॅ गाेविंद महताे कुलपति डॉ. गोविंद महतो ने विश्वविद्यालय का परिचय देते हुए कहा कि इस महोत्सव में साहित्य की सरिता प्रवाहित होगी, जिसमें मूर्धन्य विद्वान साहित्यकार एवं विद्यार्थियों का सहयोग महोत्सव को मिलेगा। उन्हाेंने कहा कि श्रीनाथ विश्वविद्यालय का आरंभ संध्या शंभू एजुकेशनल ट्रस्ट के द्वारा किया गया था। वर्तमान समय में विश्वविद्यालय पीसीआई, एनसीटीई से संबद्धता प्राप्त कर चुका है। यहां अलग-अलग तरह के कई कोर्स चलाई जा रहे हैं। साथ ही कई और कोर्स आरंभ होने वाले हैं।

ये थे निर्णायक:

दीपक वर्मा ‘दीप’, सुधा गाेयल, डॉ. रजनी शर्मा चन्दा, उत्तम मल्लीक, डॉ. क्षमा त्रिपाठी, डॉ. मुकुल खण्डेलवाल, दशरथ हासदा, संतोष महतो, मोहम्मद सरताज आलम, संगीता झा, सुमन झा, अर्पणा संत सिंह इत्यादि थे।
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सुखदेव महतो ने गणमान्य अतिथियों एवं निर्णायकों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया |

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