जमशेदपुर / सरायकेला : भारत सरकार ने पीएम पोषण योजना के तहत बाल वाटिका, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए सामग्री लागत में मामूली वृद्धि की घोषणा की है। यह संशोधित दरें 1 दिसंबर, 2024 से लागू होंगी, जिसके अनुसार प्राथमिक कक्षाओं के लिए प्रति बच्चा प्रति दिन 6.19 रुपये और उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए 9.29 रुपये की लागत निर्धारित की गई है। हालांकि, इस बढ़ोतरी के बावजूद, योजना से जुड़े मटेरियल सप्लायर्स ने इसे अपर्याप्त बताते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
सप्लायर्स में असंतोष
सप्लायर्स का मानना है कि सरकार द्वारा दी गई मामूली बढ़ोतरी के बावजूद, बढ़ती महंगाई और खाद्य सामग्रियों की कीमतों में वृद्धि के कारण योजना के तहत बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन मुहैया कराना मुश्किल हो गया है। वर्तमान में, सरसों तेल की कीमत 200 रुपये प्रति किलो, दाल की कीमत 90-150 रुपये प्रति किलो, और आलू व अन्य सब्जियों की कीमतें 60 रुपये प्रति किलो से अधिक हो गई हैं। इसके अलावा, गैस सिलेंडर की कीमत 843 रुपये तक पहुँच गई है, जो खाद्य सामग्रियों के परिवहन को और महंगा बनाता है।
क्या कहते हैं सप्लायर्स?
सप्लायर्स का कहना है कि सरकार प्रति अंडा 6 रुपये का भुगतान करती है, जबकि बाजार में अंडे की कीमत 7-8 रुपये तक पहुंच गई है। इस असंतोष का मुख्य कारण यह है कि खाद्य सामग्रियों की बढ़ती लागत और ट्रांसपोर्टेशन का खर्च योजना के संचालन में दिक्कतें उत्पन्न कर रहा है। एक सप्लायर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “महंगाई के कारण जरूरी सामग्री की कीमतें बहुत बढ़ गई हैं, और अब मौजूदा दरों पर बच्चों को अच्छे गुणवत्ता का भोजन देना असंभव हो गया है।”
सरकार के निर्देश
भारत सरकार ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि इन संशोधित दरों को 1 जनवरी, 2024 से प्रभावी माना जाए और योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। हालांकि, सप्लायर्स के असंतोष के कारण सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
अब सरकार के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह बढ़ती महंगाई और सप्लायर्स की समस्याओं को गंभीरता से ले। योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सरकार को जल्द से जल्द सप्लायर्स के असंतोष को दूर करने के उपायों पर ध्यान देना होगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बढ़ती लागत के बावजूद, बच्चों को अच्छी गुणवत्ता का भोजन सही समय पर उपलब्ध हो।
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