जमशेदपुर : इंकैब कंपनी के श्रमिकों के हक में आवाज उठाते हुए भगवती सिंह ने एनसीएलटी में 8 जनवरी 2025 को पारित आदेशों के खिलाफ दिल्ली में एनसीएलएटी में अपील दायर की है। उन्होंने कहा कि एनसीएलटी ने बिना कोई वैध कारण बताए इंकैब के जमशेदपुर प्लांट के लगभग 2000 श्रमिकों के वैध दावों को खारिज कर दिया। एनसीएलटी ने इस आदेश में दावा किया था कि पूर्व रेसोल्यूशन प्रोफेशनल शशि अग्रवाल के खिलाफ आरोप निरर्थक हो गए हैं, और इसलिए दावों को खारिज कर दिया गया। हालांकि, पीएफ विभाग के आवेदन पर नए रेसोल्यूशन प्रोफेशनल पंकज टिबरेवाल को यह आदेश दिया गया कि श्रमिकों के पीएफ और ग्रेच्युटी के लिए पूरी व्यवस्था की जाए, जो तब ही संभव है जब श्रमिकों के सही और वैध दावों को स्वीकार किया जाए।
भगवती सिंह ने कहा कि एनसीएलटी ने इंकैब के कर्जों के मामले में अनदेखी की है, खासकर उन कर्जों को जो 1992 में गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में बदल गए थे। इसके अलावा, उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि एनसीएलटी ने फर्जी कंपनियों के दावों को मंजूर कर लिया है, जिनमें पेगासस रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और ट्रॉपिकल वेंचर्स शामिल हैं, जो दावा कर रहे थे कि इंकैब से कर्ज 2006 और 2016 में खरीदा गया था, जबकि कानूनी तौर पर वे कर्ज पहले ही कालातीत हो चुके थे।
साथ ही, भगवती सिंह ने एनसीएलटी के 2016 के आदेश को दरकिनार करते हुए 21 करोड़ 63 लाख रुपये के बजाय 4000 करोड़ रुपये के फर्जी दावों को मंजूरी देने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह आदेश अवैध है और एनसीएलटी ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को अनदेखा किया।
उनका कहना था कि एनसीएलटी ने आरबीआई गाइडलाइन्स और सर्फेसी अधिनियम की अनदेखी करते हुए निजी कंपनियों को कर्ज बेचने का आदेश दिया, जो कि कानूनी रूप से गलत है। इसके अलावा, भगवती सिंह ने यह भी बताया कि रिजोल्यूशन प्रोफेशनल पंकज टिबरेवाल ने अवैध तरीके से चार नए रिजोल्यूशन प्रोफेशनल की नियुक्ति की, और इंकैब के 5 करोड़ रुपये के अमानत में खयानत करने के खिलाफ कोई आदेश नहीं पारित किया।
भगवती सिंह ने अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव से आग्रह किया है कि वे इंकैब के श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एनसीएलटी में यह लड़ाई लड़ें। यह मामला 2000 परिवारों के जीवन-मरण से जुड़ा हुआ है, और टाटा कंपनी इंकैब की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इंकैब की कुछ संपत्तियों पर बाहरी लोगों का अवैध कब्जा है और कुछ लोगों ने इन्हें किराए पर दे रखा है। इस बारे में भी वे एनसीएलटी में ध्यान आकर्षित करेंगे, क्योंकि इन संपत्तियों में हादसों का खतरा हो सकता है, जैसा कि टायो कॉलोनी में हुआ था।
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