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Jamshedpur JDU News : जमशेदपुर में ‘औद्योगिक नगरी समिति’ को लेकर सियासत तेज, जदयू नेता ने उठाए सवाल, कहा-शहर को कौन चलाएगा?

by Anand Mishra
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Jamshedpur (Jharkhand) : औद्योगिक नगरी जमशेदपुर में जमशेदपुर औद्योगिक नगरी समिति (Jamshedpur Industrial City Committee) के गठन को लेकर सियासी गलियारों और आम जनता में उहापोह का माहौल गहरा गया है। जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और स्वर्णरेखा क्षेत्र ट्रस्ट समिति के ट्रस्टी आशुतोष राय (Ashutosh Rai) ने इस नई समिति के गठन और जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (जेएनएसी-JNAC) को बरकरार रखने पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा है कि “जमशेदपुर को चलाने के लिए दो समितियों की जरूरत क्यों?”

एक शहर, दो समितियां, अव्यवस्था की आशंका

आशुतोष राय ने सवाल किया कि जब जेएनएसी पहले से ही कार्यरत है, तो नई औद्योगिक नगरी समिति के गठन की आवश्यकता ही क्या थी? और जब नई समिति का गठन हो गया है, तो जेएनएसी को भंग क्यों नहीं किया गया? उन्होंने सरकार की जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए कहा कि नियमों को ताक पर रखकर आनन-फानन में प्रशासक की नियुक्ति कर दी गई, जिससे अब यह स्पष्ट नहीं है कि शहर का असली प्रशासन कौन संभालेगा। उनके अनुसार, जेएनएसी के कर्मचारियों के भविष्य को लेकर भी कोई स्पष्टता नहीं है।

शासन में टकराव और पारदर्शिता पर सवाल

राय ने आशंका जताई कि आने वाले दिनों में सरकार और नई औद्योगिक नगरी समिति के बीच टकराव देखने को मिल सकता है। उन्होंने समिति की संरचना पर भी सवाल उठाए, जहां प्रभारी मंत्री/स्थानीय मंत्री चेयरमैन होंगे, जबकि कॉर्पोरेट के उपाध्यक्ष (VP) और जिले के उपायुक्त (DC) भी उपाध्यक्ष होंगे। यह पहली बार होगा जब एक समिति में दो-दो उपाध्यक्ष होंगे, जिनमें एक निजी क्षेत्र से होगा। उन्होंने पूछा कि यदि प्रभारी मंत्री/स्थानीय मंत्री और डीसी बैठक में अनुपस्थित रहते हैं, तो क्या निजी क्षेत्र के वीपी निर्णय लेंगे?

नागरिक सुविधाओं और वित्तीय ऑडिट पर संदेह

सबसे बड़ा सवाल नागरिक सुविधाओं को लेकर है। आशुतोष राय ने पूछा कि लीज क्षेत्र के बाहर के इलाकों की साफ-सफाई, सड़क, नाली और पानी की व्यवस्था कौन करेगा? 86 (वास्तव में 144) बस्तियों में जनसुविधाएं कौन मुहैया कराएगा? यदि टाटा स्टील सुविधा देगा, तो उसका अंशदान कितना होगा और सरकार का कितना? टाटा स्टील द्वारा दिए गए पैसों का ऑडिट होगा या नहीं, इस पर भी उन्होंने संदेह व्यक्त किया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह समिति दबाव में गठित की गई है और इसका कोई स्पष्ट SOP (मानक संचालन प्रक्रिया) सार्वजनिक नहीं किया गया है।

राय ने सुझाव दिया कि सरकार को स्थानीय जनप्रतिनिधियों, जिला प्रशासन और टाटा स्टील के प्रतिनिधियों के साथ बैठकर इन सभी मुद्दों पर स्पष्टता लानी चाहिए और एक विस्तृत SOP बनाकर उसे सार्वजनिक करना चाहिए। उन्होंने चेताया कि मौजूदा असमंजस की स्थिति में शहर का विकास बाधित होगा और जनता को परेशानी होगी।

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