जमशेदपुर: शहर से आदित्यपुर की दूरी महज बस एक पूल भर की है। आदित्यपुर पूल से एकदम सटे राममडईया बस्ती के लोग इस भारी गर्मी में पानी के बूंद बूंद के लिए तरस रहे है। चिलचिलाते धूप में पीने के पानी लेने के लिए निगम के पानी टैंकर के पास लंबी कतारों में घंटों खड़े रहने पर मजबूर है। जबकि यह बस्ती नदी के ठीक किनारे बसा है। लगभग 500 की आबादी वाले इस बस्ती में लगभग 50 मकानें है। जिसमें बच्चें, बूढ़े, महिलाएं, जवान सभी रहते है।
सभी मजदूरी कर अपना पेट भरते है। पीने के पानी के लिए घंटों धूप में निगम के पानी टैंकर के पास खड़ा रहना पड़ता है। बस्ती के लोगों के अनुसार पानी टैंकर नहीं आने की स्थिति में एक किलोमीटर दूर जाकर पानी लाने जाना पड़ता है। इसके अलावे पानी के अभाव में नदी के अंदर गढ़ाकर पानी निकाल कर काम चलाते है। बस्ती के लोगों का कहना है कि रविवार को निगम द्वारा पानी टैंकर उपलब्ध नहीं कराया जाता।
लोगों को पूरा पानी भी नहीं मिलता। बस्ती के लोग किसी तरह छोटे- छोटे बर्तन, प्लास्टिक के जार, बाल्टी में जमा करके रखते है। लोगों ने बताया कि मई-जून के महीनों में भगवान ही बचाते है। बस्ती में बोरिंग, चापाकल की सुविधा नहीं है। साथ ही बताया की घरों में पिछले एक साल से निगम द्वारा जलापूर्ति के लिए घरों में पाइप बिछाया गया है। लेकिन पानी की सप्लाई शुरू नहीं हुआ है।
यहाँ तक कि बस्तियों के लोगों को गर्मी के दिनों में पीने और नहाने के लिए पानी खरीदना पड़ता है।
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-बस्ती के लोगों ने क्या कहा?
राममडईया बस्ती के पार्वती देवी का कहना है कि भारी गर्मी व कड़े धूप में प्रतिदिन पीने के पानी के लिए जूझना पड़ता है। बोरिंग व चपाकल नहीं होने से बच्चें, बूढ़े व महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पीने, नहाने और कपड़े धोने के लिए बस्ती में पानी की सुविधा नहीं है। नदी के गंदे पानी में नहाने और कपड़े धोने के लिए मजबूर है। वहीं आरती कुमारी ने बताया कि पानी ढोने का काम ड्यूटी जैसा हो गया है। टैंकर का पानी भी समय पर नहीं आता है। पानी खत्म हो जाने पर एक किलोमीटर दूर से पानी खरीद कर लाना पड़ता है। सरकार द्वारा कोई सुविधा नहीं दी गई है। उसने बताया की पानी लेने के लिए लंबी लंबी लाइनें लगती है।