जमशेदपुर : जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में आरक्षण की अनदेखी कर बीएड में एडमिशन से संबंधित खबर द फोटोन न्यूज” में प्रकाशित होने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बीएड एडमिशन कमेटी में शामिल तीन शिक्षिकाओं और एक क्लर्क को शाेकाॅज किया है। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया गया है, जो पूरे मामले की जांच करेगी।
दो दिन में जवाब तलब
जानकारी के अनुसार मामला संज्ञान में आने के बाद यूनिवर्सिटी की कुलपति ने एडमिशन कमेटी की कंवेनर डॉ कामिनी से इस संबंध में पूछताछ की। जानकारी लेने के बाद उन्होंने डॉ कामिनी को आवश्यक कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश दिए हैं। उसे पर अमल करते हुए डॉ कमीनी ने एडमिशन कमेटी में शामिल शिक्षिका नेहा मिंज, सुधा दीप व एक अन्य तथा क्लर्क विश्वनाथ राव को शोकाज किया है। तीनों शिक्षकओं और क्लर्क से दो दिन में जवाब तलब किया गया है।
10 दिनों में जांच रिपोर्ट सौंपेगी
दूसरी ओर इस मामले में एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी के कंवेनर यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर डॉ सुधीर कुमार साहू बनाए गए हैं। इनके अलावा कमेटी अन्य शिक्षक शिक्षकों को भी शामिल किया गया है, इसमें कुछ कांट्रेक्चुअल टीचर भी शामिल हैं। यह कमेटी 10 दिनों में पूरे मामले की जांच कर कुलपति को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
कमेटी पर सवाल
कुछ अभिभावकों एवं छात्राओं ने एडमिशन से लेकर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी तक पर सवाल उठाने शुरू कर दिये हैं। इसकी वजह कमेटी में कांट्रेक्चुअल टीचरों को शामिल किया जाना है। उनका कहना है कि इतने बड़े मामले की जांच में कॉन्ट्रक्चुअल टीचर्स को शामिल किया जाना कहीं से उचित नहीं है। यूनिवर्सिटी में कम से कम इतने परमानेंट शिक्षक शिक्षिकाएं तो हैं, जिन्हें इस कमेटी में शामिल किया जाना चाहिए था। फिर क्या कारण है कि एडमिशन से लेकर फैक्ट फाइंडिंग तक की जिम्मेदारी कांट्रेक्चुअल टीचर्स के हाथों में सौंप दी जा रही है?
क्या है मामला?
बता दें कि चार राउंड की काउंसलिंग के बाद भी बीएड की सीट खाली रह जाने के बाद पांचवें राउंड में ओपन काउंसलिंग हुई। इस राउंड में जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में जेनरल व अन्य कैटेगरी के अलावा ओबीसी कोटा के तहत बीसी-1 की दो और बीसी-2 की पांच सीट खाली थी। इसी के अनुसार जेसीईसीईबी की ओर से इन दोनों कैटेगरी की कुल सात सीटों पर एडमिशन के लिए रोस्टर यूनिवर्सिटी को उपलब्ध कराया गया था। बावजूद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसकी अनदेखी करते हुए इस कैटेगरी में छह सीट के लिए ही उम्मीदवारों की सूची जारी की। सूची में शामिल सभी छह उम्मीदवार ओबीसी कैटेगरी के हैं। सूची में बीसी-1 और बीसी-2 का उल्लेख ही नहीं है। इस तरह इन दोनों कैटेगरी को मर्ज कर दिया गया है।
बीसी-2 की पांच सीटों का क्या हुआ?
इसके बाद से बीसी-2 कैटेगरी की उम्मीदवार छात्राओं एवं उनके अभिभावकों ने यूनिवर्सिटी में हंगामा मचाया था। उनका कहना है कि इस कैटेगरी की पांच सीटों का क्या हुआ। यूनिवर्सिटी प्रशासन के पास इसका जवाब नहीं है।
सीट बेचने का आरोप
दूसरी ओर विश्वविद्यालय सूत्रों का कहना है कि रोस्टर की अनदेखी के साथ ही, एडमिशन में अच्छी-खासी रकम का लेनदेन भी हुआ है। यही वजह है कि बीसी-1 और बीसी-2 की सीटों को मर्ज कर दिया गया है।
- शोकॉज एवं फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के गठन एवं इसमें शामिल टीचर्स के संबंध में जानकारी लेने के लिए यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर सह प्रवक्ता डॉ सुधीर कुमार साहू से उनके मोबाइल फोन पर बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।


