Jamshedpur : झारखंड के विभिन्न श्रमिक संगठनों ने मंगलवार को जमशेदपुर स्थित उप श्रमायुक्त को ज्ञापन सौंपकर ठेका और अस्थायी मजदूरों की समस्याओं पर गंभीर चिंता जताई। संगठनों का आरोप है कि ठेकेदार और नियोक्ता मिलकर श्रम कानूनों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं, जिससे मजदूरों के अधिकार प्रभावित हो रहे हैं।
श्रमिक नेताओं ने कहा कि 11 महीने के अनुबंध पर काम कराने की प्रथा न केवल अवैध है बल्कि मजदूरों का शोषण भी है। नियमित नियुक्ति पत्र देने के बजाय ठेकेदार मजदूरों से एकतरफा शर्तों वाले कागजात पर हस्ताक्षर करवाते हैं। संगठनों ने मांग की है कि आगामी त्योहारों से पहले सभी ठेका मजदूरों को स्थायी कर्मचारियों के बराबर बोनस दिया जाए और जहां कार्य स्थायी प्रकृति का हो, वहां ठेका प्रथा को समाप्त किया जाए।
ज्ञापन में न्यूनतम वेतन से जुड़े परिवर्तनीय महंगाई भत्ते की अधिसूचना में हो रही देरी पर भी चिंता जताई गई। नेताओं का कहना है कि 1 अप्रैल 2025 से देय महंगाई भत्ता अब तक घोषित नहीं किया गया है, जिससे हजारों मजदूर प्रभावित हैं। इसके अलावा मजदूरी, काम के घंटे, ओवरटाइम, अवकाश, सामाजिक सुरक्षा, कैंटीन, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं को अनिवार्य करने की मांग रखी गई।
संगठनों ने यह भी कहा कि नियोक्ताओं की हेराफेरी रोकने के लिए प्रत्येक ठेका मजदूर को लिखित उपस्थिति और कार्य घंटे का रिकॉर्ड (अटेंडेंस कार्ड) उपलब्ध कराया जाए।
इस संयुक्त ज्ञापन पर झारखंड श्रमिक संघ झामुमो के अध्यक्ष शैलेंद्र मैती, झारखंड असंगठित मजदूर यूनियन के केंद्रीय महासचिव ओमप्रकाश सिंह और सिंहभूम ठेकेदार सचिव के महासचिव नागराजू ने हस्ताक्षर किए।
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