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JHARKHAND FOUNDATION DAY: झारखंड के रजत जयंती उत्सव पर झारखंड जतरा में बोले सीएम, ये हमारी गौरवशाली विरासत का प्रतीक

by Vivek Sharma
HEMANT SOREN
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RANCHI: झारखंड स्थापना के रजत जयंती उत्सव के मौके पर रविवार को झारखंड जतरा का आयोजन किया गया। इस दौरान जतरा यात्रा निकाली गई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अल्बर्ट एक्का चौक में ढोल-नगाड़ा लेकर जतरा यात्रा का स्वागत करते दिखे। मुख्यमंत्री ने राज्यवासियों को 25वीं स्थापना वर्षगांठ की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि झारखंड सिर्फ भौगोलिक पहचान नहीं, बल्कि संघर्ष, अस्मिता और गौरव की भूमि है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार झारखंड की भाषा, संस्कृति और पारंपरिक पहचान को संरक्षित व सशक्त करने की दिशा में निरंतर कार्यरत है। उन्होंने कहा कि झारखंड जतरा राज्य की सामूहिक भावना, एकता और गौरवशाली विरासत का प्रतीक है। ये आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का माध्यम बनेगा।

पारंपरिक हथियारों के साथ पहुंचे युवा

जतरा में तरह-तरह की झांकियों ने लोगों का मन मोह लिया। झांकियां झारखंड के जल, जंगल, जमीन के थीम पर बनी थी। वहीं पारंपरिक हथियारों के साथ युवा झांकी में शामिल हुए। झारखंड जतरा जैप–1 ग्राउंड डोरंडा से अल्बर्ट एक्का होते हुए बिरसा मुंडा स्मृति पार्क जेल चौक तक निकाली गई। इस जतरा में सीएम हेमंत ने खुद से पारंपरिक ढोल–नगाड़ा बजाकर स्थानीय लोक कलाकारों की हौसला अफजाई की और पदयात्रा भी की।

जतरा में संस्कृति की झलक

झारखंड जतरा झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा, लोककला और जनएकता का जीवंत प्रतीक बनी। जतरा में राज्य की विभिन्न जनजातीय और स्थानीय समुदायों ने पारंपरिक वेशभूषा में नृत्य, गीत पेश किया। वहीं वाद्य यंत्र और झांकियों के माध्यम से अपनी संस्कृति की रंगारंग झलक पेश की। विभिन्न जिलों से आई झांकियों में झारखंड की लोककला, त्योहार, नायक-नायिकाओं के योगदान और वीर सपूतों के संघर्ष को दर्शाया गया। इस दौरान हेलीकॉप्टर से फूलों की बारिश की गई। हजारों की संख्या में लोग इस यात्रा के साक्षी बने।  

कल्याण मंत्री ने दिखाई झंडी

जतरा को स्थानीय जैप-1 ग्राउंड डोरंडा में कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने नगाड़ा बजा कर और हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। जतरा के समापन अवसर पर कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की और विधायक कल्पना सोरेन बिरसा मुंडा स्मृति पार्क, जेल चौक पहुंचीं और झारखंड जतरा का स्वागत करते हुए समापन किया। उन्होंने झारखंडी परंपरा के अनुरूप ढोल–नगाड़ा बजाया। पारंपरिक नृत्य से उन्होंने कलाकारों में जोश भरने का काम किया। कार्यक्रम में विभिन्न जनजातीय समुदायों के प्रतिनिधि, लोक कलाकार, विद्यार्थी, सांस्कृतिक दल, सामाजिक संस्थाएं और बड़ी संख्या में शहर के लोग मौजूद रहे।

हजारों कलाकारों ने जीता दिल

झारखंड की लगभग ढाई दर्जन जनजातियों की कला, नृत्य, वाद्ययंत्र और पारंपरिक परिधानों की झांकियों ने राजधानी की सड़कों पर उत्सव का माहौल बना दिया। इस भव्य जतरा मेला में हजारों कलाकार शामिल हुए हैं। झांकियों में छऊ नृत्य, मुंडा सोहराय नृत्य, संथाली डांस, हो जनजाति का करमा, असुर ढुमकुश, उरांव का झूमर और अन्य पारंपरिक प्रस्तुतियों ने लोगों का मन मोह लिया।

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