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Jharkhand Assembly Monsoon Session: झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र जल्द बुलाए जाने की संभावना, अनुपूरक बजट पास कराना जरूरी

Jharkhand Assembly Session: गुरुजी के निधन के बाद बनी असहज स्थिति से उबरते ही शुरू होगी मंत्रणा, आदिवासी महोत्सव भी सीमित रूप में

by Reeta Rai Sagar
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Ranchi: झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र जल्द ही फिर से बुलाया जा सकता है। गौरतलब है कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के कारण 1 अगस्त से प्रारंभ हुआ मानसून सत्र केवल दो दिन ही चला और 4 अगस्त को विषम परिस्थितियों में इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा।

हालांकि, सरकार के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सत्रावसान अभी नहीं किया गया है। ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष को यह अधिकार प्राप्त है कि वे कभी भी सत्र बुला सकते हैं। इसके लिए कार्य मंत्रणा समिति की बैठक बुलाई जा सकती है, जिसमें आगामी विधायी प्रक्रिया की रूपरेखा तय की जाएगी।

15 अगस्त के बाद फिर से बुलाया जा सकता है मानसून सत्र

सूत्रों के अनुसार, दिशोम गुरु के निधन से उत्पन्न असहज स्थिति से मुख्यमंत्री के थोड़ा स्थिर होते ही सत्र की तिथि निर्धारित की जाएगी। संभावना जताई जा रही है कि 15 अगस्त के बाद, संभवतः 19 अगस्त से मानसून सत्र फिर से शुरू हो सकता है।

ज्ञात हो कि 4 अगस्त (सोमवार) से 7 अगस्त (गुरुवार) तक सत्र की कार्यवाही नहीं हो सकी है। इसलिए जो चार दिन की कार्यवाही नहीं हो पाई, उसे 18 अगस्त से 21 अगस्त तक आयोजित किया जा सकता है।

अनुपूरक बजट व विधायी कार्यों को लेकर सरकार पर दबाव

झारखंड सरकार के लिए मानसून सत्र का पुनः आयोजन बेहद जरूरी है, क्योंकि न तो अनुपूरक बजट पारित हो सका है और न ही कोई विधायी कार्य पूरा हो पाया है। कोई भी विधेयक अब तक सदन से पारित नहीं कराया जा सका है, जिससे शासन-प्रशासन पर कार्यों की गति प्रभावित हो रही है।

आदिवासी महोत्सव स्थगित, सीमित कार्यक्रम से मनाया जाएगा विश्व आदिवासी दिवस

दूसरी ओर, पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन के कारण 9-11 अगस्त तक प्रस्तावित आदिवासी महोत्सव को भी स्थगित कर दिया गया है। रांची के मोरहाबादी मैदान में बन रहे विशाल पंडाल व अन्य तैयारियों को फिलहाल रोक दिया गया है।

अब, आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर केवल 2 से 3 घंटे का सीमित कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। कोई रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होगा, बल्कि महज औपचारिक कार्यक्रमों के जरिए आदिवासी दिवस की परंपरा निभाई जाएगी।

कार्यक्रम की अंतिम रूपरेखा भी मुख्यमंत्री की स्थिति स्थिर होने के बाद तय की जाएगी।

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