मनोहरपुर : पश्चिमी सिंहभूम जिले के मनोहरपुर में सोमवार को ऐसी घटना हुई कि हर कोई चकित रह गया। जिस बेटे के शव के इंतजार में परिजन एक माह से बिलख रहे थे, जब ताबूत घर पहुंचा और खोला गया तो दिल दहला देने वाला सच सामने आया।
शव अह्लाद नंदन महतो का नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के जौनपुर निवासी शिवेंद्र प्रताप सिंह का निकला। एक महीने बाद भी परिजनों को अपने बेटे का शव नहीं मिला, मिला तो बस सरकार और सिस्टम की घोर लापरवाही का दर्दनाक उदाहरण।
अह्लाद नंदन महतो अगस्त 2024 में ईरान रोजगार के लिए गया था। 28 मार्च को एक जहाज दुर्घटना में उसकी मौत की सूचना आई थी। परिवार ने भारतीय दूतावास और सरकारी प्रक्रिया के जरिए शव लाने के लिए लगातार कोशिश की।
सोमवार को जब शव कोलकाता एयरपोर्ट से गांव लाया गया, तब एयरपोर्ट पर शव की जांच तक नहीं कराई गई थी। ताबूत खुलते ही परिवार को झटका लगा, शव पर अह्लाद के पैर की सर्जरी का निशान तक नहीं था।
संदेह होने पर परिवार ने दूसरे मृतक शिवेंद्र प्रताप के परिजनों से संपर्क किया, जिन्होंने शव की पहचान अपने बेटे के रूप में की। अब शव को चक्रधरपुर स्थित शीतगृह में रखा गया है और प्रशासन ने आगे की कार्रवाई की बात कही है। लेकिन असल सवाल यह है कि एक महीने बाद भी अह्लाद का शव कहां है।
जिम्मेदारी तय करने वाला कोई अधिकारी अब तक सामने नहीं आया है। परिजनों ने भारतीय दूतावास और सरकार पर अनदेखी का गंभीर आरोप लगाया है।