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Jharkhand Sand Ghat Auction : झारखंड के सभी जिलों में सितंबर के पहले पखवाड़े तक हो जाएगी बालू घाटों की नीलामी

* राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने सभी उपायुक्तों को दिए निर्देश...

by Anand Mishra
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Ranchi (Jharkhand) : झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने बुधवार को सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया कि राज्य के व्यावसायिक बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया को सितंबर के पहले पखवाड़े तक पूर्ण कर लिया जाए। उन्होंने यह बातें प्रोजेक्ट भवन में आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक के दौरान कही।

मुख्य सचिव ने कहा कि नीलामी प्रक्रिया से पूर्व सभी उपायुक्त नई बालू नीति को विस्तार से समझ लें ताकि प्रक्रिया पारदर्शी हो और तकनीकी अड़चनें सामने न आएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसके लिए खनन पदाधिकारी और उपायुक्तों को प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे पूरी तैयारी और स्पष्टता के साथ नीलामी करा सकें।

पारदर्शिता और उपभोक्ता हित पर जोर

मुख्य सचिव ने कहा कि नई बालू नीति का उद्देश्य उपभोक्ताओं को उचित दर पर बालू उपलब्ध कराना है और साथ ही बालू के अवैध कारोबार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना है। उन्होंने यह भी कहा कि बाहरी राज्यों से बालू की अनावश्यक आवक को हतोत्साहित करना सरकार की प्राथमिकता है।

खान विभाग की भूमिका और मॉक ड्रिल की तैयारी

राज्य के खान सचिव अरवा राजकमल और खान निदेशक राहुल सिन्हा ने बैठक में कहा कि बालू घाटों की नीलामी में उपायुक्तों की भूमिका बेहद अहम होगी। इसलिए उन्हें गंभीरता और तैयारी के साथ नीलामी प्रक्रिया संपन्न करनी होगी।

अधिकारियों ने सुझाव दिया कि उपायुक्त नीलामी प्रक्रिया का मॉक ड्रिल आयोजित करें और संभावित बोलीदाताओं को पूरी जानकारी उपलब्ध कराएं। जरूरत पड़ने पर हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए जाएंगे।

अक्टूबर से पहले नीलामी पूरी करना जरूरी

अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि 15 अक्टूबर के बाद ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा खनन पर प्रतिबंध समाप्त हो जाएगा। यदि उससे पहले नीलामी प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो खनन कार्य समय पर शुरू होगा और राज्य में बालू की कमी नहीं होगी।

उन्होंने यह भी कहा कि बालू की कीमत सरकार तय नहीं करेगी, लेकिन वैध कारोबार सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। साथ ही उपायुक्तों को यह अधिकार होगा कि नियम उल्लंघन की स्थिति में ठेका रद्द कर सकें।

बालू घाटों की कैटेगरी और संख्या

  • पहली कैटेगरी : 5 हेक्टेयर से कम रकबा वाले बालू घाट (374 घाट), जिनका संचालन ग्राम सभा करेगी।
  • दूसरी कैटेगरी : 5 हेक्टेयर से अधिक रकबा वाले बालू घाट, जिनकी नीलामी की जाएगी। इसके लिए छोटे और बड़े घाटों को मिलाकर 60 समूह बनाए गए हैं।
  • किसी भी व्यक्ति को 1000 हेक्टेयर से अधिक रकबे का बालू घाट नहीं दिया जाएगा और एक व्यक्ति को अधिकतम दो समूहों का ही ठेका मिल सकेगा।

पर्यावरण और तकनीकी पहलू

बैठक में सिया (State Environment Impact Assessment Authority) के सदस्य राजीव लोचन बख्शी ने खनन से जुड़े पर्यावरणीय पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। वहीं, झारखंड सूचना प्रौद्योगिकी संवर्धन एजेंसी (JAP-IT) के प्रतिनिधियों ने नीलामी की तकनीकी प्रक्रिया का विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया ताकि अधिकारियों को किसी तरह की उलझन न रहे।

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