Jamshedpur (Jharkhand) : झारखंड विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ ने राज्य सरकार पर विश्वविद्यालय कर्मचारियों के साथ “सौतेला व्यवहार” करने का गंभीर आरोप लगाया है। महासंघ ने ACP (Assured Career Progression) और MACP (Modified Assured Career Progression) के लाभों को लेकर सरकार के उदासीन रवैये पर नाराजगी जाहिर की है। महासंघ ने सरकार से इस संबंध में प्रक्रिया तुरंत शुरू करने की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं होता है तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अनदेखी
महासंघ के पदाधिकारियों ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद राज्य सरकार विश्वविद्यालय और महाविद्यालय कर्मचारियों को ACP/MACP का लाभ देने में आनाकानी कर रही है। सरकार के अधिकारी यह तर्क दे रहे हैं कि विश्वविद्यालय कर्मचारी, सरकारी कर्मचारियों के समान नहीं हैं, इसलिए उन्हें यह लाभ नहीं दिया जा सकता। महासंघ ने इस तरह के तर्कों को “निराधार और विरोधी भावना से प्रेरित” बताया है।
महासंघ ने अविभाजित बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के कर्मचारियों का दर्जा सरकारी कर्मचारियों के समान था। ऐसे में झारखंड राज्य बनने के बाद यह स्थिति कैसे बदल सकती है? उन्होंने कहा कि जब बिहार में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार विश्वविद्यालय कर्मचारियों को ACP/MACP का लाभ मिल रहा है, तो झारखंड में उन्हें क्यों वंचित किया जा रहा है?
समान वेतन, तो लाभ में भेदभाव क्यों?
महासंघ ने कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा कि जब झारखंड में विश्वविद्यालय कर्मचारियों के वेतनमान और अन्य सेवा-शर्तें सरकारी कर्मचारियों के समान हैं, तो केवल इस विशेष लाभ को देने के लिए न्यायालय के आदेश के विरुद्ध तर्क क्यों दिए जा रहे हैं? यह सीधे तौर पर कर्मचारियों के साथ भेदभाव है।
महासंघ के अध्यक्ष धीरेन्द्र कुमार राय, महामंत्री विश्वम्भर यादव, उपाध्यक्ष संतोष कुमार समेत अन्य पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से यह बातें कही हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि वह इस मामले में तुरंत कार्रवाई शुरू करे। यदि सरकार का नकारात्मक रवैया जारी रहता है, तो महासंघ राज्यव्यापी आंदोलन के लिए तैयार है।