पलामू : प्रतिबंधित नक्सली संगठन झारखंड जन्म मुक्ति परिषद (JJMP) का सुप्रीमो पप्पू लोहरा उर्फ सोमदेव लोहरा मुठभेड़ में मारा गया। इसके साथ ही एक खौफ के पर्याय का अंत हो गया। पप्पू लोहरा पर पलामू, गढ़वा और लातेहार में दर्जनों नक्सली घटनाओं को अंजाम देने का आरोप था। जिस इलाके में पप्पू लोहरा की मौजूदगी होती थी, उस इलाके में किसी दूसरे नक्सली संगठन का दस्ता नहीं चलता था।
जन अदालत के पहले ही भाग निकला था पप्पू लोहरा
2009-10 में माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व ने पप्पू लोहरा पर आंतरिक गड़बड़ी और संगठन विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया था। लातेहार के कुजरूम क्षेत्र में माओवादियों ने जनअदालत लगाकर उसे मौत की सजा सुनाने की योजना बनाई थी। लेकिन जनअदालत से पहले ही वह उनके चंगुल से फरार हो गया। पप्पू लोहरा मूल रूप से लातेहार जिले के लुंडी गांव का रहने वाला था।
JJMP में शामिल होकर बना झारखंड का सबसे बड़ा नक्सली
जनअदालत से भागने के बाद, पप्पू लोहरा झारखंड जनमुक्ति परिषद में शामिल हो गया। अपनी पूर्व माओवादी पृष्ठभूमि और रणनीतिक जानकारी के चलते उसने JJMP को तेजी से मजबूत किया। वह माओवादियों के ठिकानों, हथियारों और मूवमेंट की पूरी जानकारी रखता था, जिसका इस्तेमाल उसने उनके ठिकानों पर कब्जा करने और कई मुठभेड़ में बढ़त पाने में किया।
पप्पू के कारण कई जगह पीछे हटे थे माओवादी
पप्पू लोहरा के कारण माओवादियों को सरयू (लातेहार) जैसे रणनीतिक ट्रेनिंग सेंटर और बूढ़ा पहाड़ से पीछे हटना पड़ा। पलामू, गढ़वा, गुमला, लोहरदगा और लातेहार में कई माओवादी और TSPC कैडरों के खिलाफ उसने मुठभेड़ की अगुवाई की। पप्पू के खौफ के कारण माओवादी गतिविधि बेहद कमजोर हो गई।
करोड़ों की वसूली थी लेवी, हिंसक घटनाओं को दिया अंजाम
पप्पू लोहरा ने JJMP के लिए करोड़ों रुपये की लेवी वसूली। सरकारी ठेकों, कंपनियों और निर्माण परियोजनाओं से वसूली के लिए उसने कई हिंसक हमलों को अंजाम दिया। यही कारण रहा कि झारखंड पुलिस और केंद्रीय सुरक्षाबलों ने उसे अति वांछित नक्सली घोषित किया और 10 लाख रुपये का इनाम रखा।
पप्पू लोहरा के खौफ से कांपते थे माओवादी संगठन
पप्पू लोहरा पर पलामू, गढ़वा और लातेहार जिलों में दर्जनों नक्सली हमलों को अंजाम देने का आरोप था। जिस क्षेत्र में वह सक्रिय होता था, वहां अन्य नक्सली संगठनों की गतिविधियां कमजोर पड़ जाती थीं। उसकी उपस्थिति से माओवादी संगठन भी खौफ खाते थे।
पुलिस और आम नागरिकों पर किए थे हमले
सूत्रों के अनुसार, पप्पू लोहरा पुलिसकर्मियों समेत आम नागरिकों की हत्या का जिम्मेदार था। सितंबर 2021 में एक मुठभेड़ के दौरान झारखंड जगुआर के डिप्टी कमांडेंट राजेश कुमार शहीद हो गए थे। इस मुठभेड़ में माओवादी संगठन TSPC के सदस्य भी मारे गए थे।
शान से लहराता था AK-47
पप्पू लोहरा हमेशा एके-47 जैसे अत्याधुनिक हथियार लेकर चलता था। वह JJMP संगठन के ऑपरेशन, फंडिंग, हथियारों की खरीद-बिक्री और लेवी वसूली की गतिविधियों में मुख्य भूमिका निभाता था। झारखंड पुलिस पिछले कई वर्षों से उसकी तलाश में थी और कई बार मुठभेड़ भी हुई, लेकिन वह हर बार बच निकलता था।
JJMP को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई
2006-07 में भाकपा माओवादी संगठन से अलग होकर संजय यादव ने झारखंड जनमुक्ति परिषद (JJMP) की स्थापना की थी। यादव की मौत के बाद, पप्पू लोहरा ने संगठन की कमान संभाली और उसे पलामू, गढ़वा और लातेहार जिलों में विस्तार दिया। उसने JJMP को स्थानीय स्तर पर एक खौफनाक संगठन के रूप में स्थापित किया।
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