रांची : झारखंड की राजनीति में एक बार फिर बयानों की जंग तेज हो गई है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के आगामी महाधिवेशन को लेकर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने झामुमो पर आदिवासी हितों के नाम पर सिर्फ राजनीतिक स्टंट करने का आरोप लगाया है।
वोट बैंक या आदिवासी अधिकार? झामुमो को करनी होगी स्थिति स्पष्ट
अजय साह ने मांग की कि झामुमो को अपने महाधिवेशन के मंच से यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह वास्तव में आदिवासी ज़मीन की सुरक्षा के साथ है या राजनीतिक तुष्टिकरण को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया वक्फ संशोधन कानून एक ऐतिहासिक कदम है, जिससे अनुसूचित क्षेत्रों की आदिवासी ज़मीनें अब वक्फ एक्ट के दायरे से बाहर हो गई हैं।
बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा भी उठाया
अजय साह ने आरोप लगाया कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ से राज्य की डेमोग्राफी में बड़ा बदलाव आया है और कई स्थानों पर मुस्लिम वक्फ बोर्ड के नाम पर आदिवासी ज़मीनों पर कब्ज़ा किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि वक्फ कानून में बदलाव के बाद इन घटनाओं पर रोक लगेगी और यह बदलाव आदिवासियों के लिए सुरक्षा कवच की तरह है।
महाधिवेशन में लाए प्रस्ताव
भाजपा प्रवक्ता ने मांग की कि झामुमो को अपने अधिवेशन में दो स्पष्ट प्रस्ताव पारित करने चाहिए। पहला बांग्लादेशी घुसपैठ के खिलाफ और दूसरा वक्फ संशोधन कानून के समर्थन में प्रस्ताव। उन्होंने कहा कि यदि झामुमो ऐसा नहीं करती, तो यह साबित हो जाएगा कि उनका आदिवासी प्रेम सिर्फ एक राजनीतिक मुखौटा है।
कर्नाटक मॉडल की चेतावनी
अजय साह ने आरोप लगाया कि झामुमो भी कर्नाटक की राह पर चलने की तैयारी में है, जहां आदिवासियों और दलितों के अधिकारों को मुस्लिम समुदाय की ओर मोड़ा गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि भाजपा ने हमेशा आदिवासियों की ज़मीन, अधिकार और अस्मिता की लड़ाई लड़ी है और आगे भी इसी प्रतिबद्धता के साथ लड़ती रहेगी।