रांची : झारखंड की सियासत से निकलकर अब झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की नजर देशव्यापी विस्तार पर है। हाल ही में हुए महाधिवेशन में झामुमो ने जो राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया है, उससे यह साफ हो गया है कि पार्टी अब खुद को नेशनल पार्टी के रूप में स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। महाधिवेशन के प्रस्ताव के अनुसार, झामुमो अब झारखंड तक सीमित न रहकर पड़ोसी राज्यों में भी अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करेगा। खासतौर पर बिहार में संगठन को मजबूत करते हुए अगामी विधानसभा चुनावों में मजबूती से भाग लेने की तैयारी की जा रही है।
बिहार के इन जिलों पर फोकस
झामुमो ने तय किया है कि बिहार के जमुई, भागलपुर, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और बांका जिलों में संगठनात्मक ढांचा खड़ा कर इन इलाकों के आदिवासी, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों को एकजुट किया जाएगा। इनके कल्याण और हक के लिए झामुमो संघर्ष को धार देगा।
दिल्ली में खोलेगा समन्वय कार्यालय
पार्टी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा के तहत आने वाले दिनों में दिल्ली में एक समन्वय एवं संपर्क कार्यालय खोला जाएगा। यह कार्यालय झामुमो के राष्ट्रीय विस्तार और विभिन्न राज्यों के बीच समन्वय का केंद्र बनेगा।
परिसीमन का विरोध
झामुमो ने परिसीमन के प्रस्तावों को लेकर केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा है। प्रस्ताव में कहा गया है कि परिसीमन की आड़ में आदिवासी आरक्षित सीटों को घटाने की साजिश रची जा रही है। यह न केवल लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है, बल्कि भाषाई अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति और जनजाति के संवैधानिक अधिकारों पर भी कुठाराघात है। झामुमो ने यह भी साफ किया है कि वह ऐसी किसी भी साजिश का पुरजोर विरोध करेगा और देशभर के वंचित वर्गों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करता रहेगा।
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