Jamshedpur (Jharkhand) : झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) द्वारा हाल ही में राज्य के सात विश्वविद्यालयों में कुलसचिवों (Registrar) की नियुक्ति की गई है, लेकिन अभी तक नवनियुक्त कुलसचिवों ने संबंधित विश्वविद्यालयों में योगदान नहीं किया है। इसका प्रमुख कारण है दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया का लंबित रहना और विश्वविद्यालयों द्वारा अब तक नियुक्ति प्रक्रिया को औपचारिक रूप से प्रारंभ नहीं किया जाना।
सूत्रों के अनुसार, जेपीएससी से नियुक्ति के बाद विश्वविद्यालयों को नवनियुक्त अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच करनी होती है, जो कि कुलपति की स्वीकृति के बाद ही शुरू की जाती है। इसी वजह से कुलसचिवों की ज्वाइनिंग में संभावित देरी हो रही है।
कोल्हान यूनिवर्सिटी और वीमेंस यूनिवर्सिटी में भी प्रक्रिया शुरू नहीं
कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा और जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी के लिए क्रमशः विक्रम शर्मा और कुमारी अंजना को कुलसचिव नियुक्त किया गया है। लेकिन दोनों ही नवनियुक्त अधिकारियों को अब तक न तो जेपीएससी और न ही विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई औपचारिक पत्र प्राप्त हुआ है। इस तरह दोनों ही यूनिवर्सिटी में अभी तक प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
विक्रम शर्मा की प्रोफाइल
विक्रम शर्मा, जो वर्तमान में जमशेदपुर स्थित आरवीएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में कार्यरत हैं, ने कहा कि जेपीएससी की वेबसाइट पर इंटरव्यू परिणाम ज़रूर अपलोड हुआ है, लेकिन न तो कोई ऑफिशियल नियुक्ति पत्र मिला है और न ही विश्वविद्यालय की ओर से कोई सूचना आई है। उन्होंने यह भी बताया कि लियन लीव लेने पर चर्चा चल रही है, लेकिन कुछ भी अभी पक्का नहीं कहा जा सकता।
कुमारी अंजना का प्रोफाइल
कुमारी अंजना फिलहाल पटना स्थित आर्यभट्ट यूनिवर्सिटी में डिप्टी रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत हैं। इससे पूर्व वह एक सीडीपीओ के पद पर भी कार्य कर चुकी हैं। उन्होंने भी बताया कि उन्हें किसी भी प्रकार की आधिकारिक सूचना अभी तक नहीं मिली है, जिससे वे अभी अपने कार्यस्थल पर ही बनी हुई हैं।
कुलपति के निर्णय पर निर्भर ज्वाइनिंग की प्रक्रिया
सूत्रों का कहना है कि विश्वविद्यालयों में ज्वाइनिंग प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का फैसला पूरी तरह कुलपति के निर्णय पर निर्भर करता है। कोल्हान विश्वविद्यालय में हाल ही में डॉ. अंजिला गुप्ता को स्थायी कुलपति नियुक्त किया गया है। उनके पास फिलहाल जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी का प्रभार भी है। वे इस महिला विश्वविद्यालय की पहली कुलपति रही हैं।
वर्तमान में विश्वविद्यालयों के कुलपति की ओर से दस्तावेज सत्यापन या ज्वाइनिंग की किसी भी प्रक्रिया को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। ऐसे में यह प्रतीत होता है कि जब तक कुलपति स्तर पर हरी झंडी नहीं मिलती, तब तक इन नियुक्तियों में आगे कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाएगा।
जानकारी के अनुसार जेपीएससी से चयनित कुलसचिवों की ज्वाइनिंग प्रक्रिया फिलहाल ठहराव की स्थिति में है। नियुक्ति पत्रों की प्रतीक्षा और दस्तावेज सत्यापन लंबित होने के कारण विश्वविद्यालयों में योगदान में देरी तय मानी जा रही है। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक ढांचे को प्रभावित कर रही है, बल्कि चयनित अभ्यर्थियों की असमंजस की स्थिति भी बढ़ा रही है। अब सभी की निगाहें विश्वविद्यालय प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।