सेंट्रल डेस्क: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के करीब ढाई महीने बाद, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल के ऑफिस वाली बिल्डिंग के पास मृतक डॉक्टर छात्रा की मूर्ति स्थापित किए जाने के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया है। इस मूर्ति का नाम ‘क्राई ऑफ द ऑवर’ है, जिसे मेडिकल फैसिलिटी के विरोध कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने अस्पताल के पास एक चबूतरे पर स्थापित किया है।
मूर्ति में दर्शाया गया है पीड़िता के अंतिम क्षणों का दर्द
इस मूर्ति को तैयार करनेवाले आर्टिस्ट असित सेन के अनुसार, मूर्ति में पीड़िता के अंतिम क्षणों के दौरान उसके दर्द को दर्शाया गया है। अस्पताल के एक जूनियर डॉक्टर ने मीडिया से बात करते हुए, कहा, “यह मूर्ति पीड़िता की नहीं है, बल्कि उसके द्वारा झेले गए दर्द और टॉर्चर का सिम्बल है, क्योंकि इस देश के डॉक्टर बहरे हैं। एक और यूजर ने इस प्रतिमा की इमेज पर कमेंट किया, “यह कितना असंवेदनशील है, किसी के दर्द को अमर कर दिया जाना, और उसे सिर्फ़ यौन शोषण के लिए जाना, जाना यह गलत है। मुझे उम्मीद है कि यह डिस्टर्बिंग मूर्ति नष्ट कर दी जाएगी।”
विरोध करनेवालों के हैं तर्क
इस मूर्ति का विरोध करनेवाले अपने-अपने हिसाब से तर्क दे रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष सहित कई अन्य आलोचकों ने इस मूर्ति के खिलाफ बोलते हुए कहा है कि यह पीड़िता की पहचान की रक्षा करने वाले सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के खिलाफ है। सोशल मीडिया पर भी कई लोगों ने अपनी नाराजगी साझा की।
दूसरी ओर इस मूर्ति को लगाए जाने के पक्ष में भी लोग खड़े दिख रहे हैं। RG कर मेडिकल कॉलेज के डॉ. देबदत्त ने मूर्ति का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने कोई नियम नहीं तोड़ा है। उन्होंने इसे एक प्रतीकात्मक मूर्ति बताया जिसका उद्देश्य यह दिखाना है कि डॉक्टर के साथ क्या हुआ और न्याय के लिए दबाव डालना है।
यह है पूरा मामला
विगत 9 अगस्त 2024 को युवा डॉक्टर के साथ अस्पताल परिसर में बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी गई थी। इसके बाद कोलकाता में कई विरोध प्रदर्शन हुए और मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया गया। मूर्ति की स्थापना ने इस बात पर सवाल उठाए हैं कि पीड़ितों को और अधिक दर्द दिए बिना, उनका सम्मान कैसे किया जाए?