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हिन्दू धर्म में माघ मेले का विशेष महत्व क्यों है? इस साल किस तिथि से लगेगा माघ मेला

by Rakesh Pandey
Magh Mela
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धर्म-कर्म डेस्क: Magh Mela in Prayagraj: हिन्दू पर्वों की धरोहर में माघ मेला काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। हर वर्ष प्रयागराज में आयोजित होने वाला यह मेला, धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। गंगा, यमुना, और सरस्वती नदी के संगम पर स्थित प्रयागराज का त्रिवेणी संगम कहलाना इसे और भी पवित्र बनाता है। Magh Mela के दौरान स्नान का अद्वितीय महत्व है जिसे करने से श्रद्धालुओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है, और इसकी शुरुआत साल 2024 में 15 जनवरी से होगी।

Magh Mela : सबसे पवित्र स्नान का समय

हर साल प्रयागराज में Magh Mela का आयोजन होता है, जो हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस वर्ष भी इस मेले की शुरुआत होने वाली है, जिसे लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। माघ मेले का मुख्य उद्देश्य संगम तट पर स्नान करने का है। यहां स्नान करने के लिए लाखों लोग देश-विदेश से पहुंचते हैं।

Magh Mela : धरोहर और पवित्रता का संगम

पद्म पुराण के मुताबिक, जो त्रिवेणी संगम पर स्नान करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रयागराज में गंगा, यमुना, और सरस्वती नदी का संगम है जिसे त्रिवेणी कहा जाता है, एक पवित्र स्थल है। माघ मेले के दौरान यहां पर स्नान करना विशेषता से शुभ होता है। ऐसी मान्यता है कि यहां स्नान करने से व्यक्ति के कष्टों में भी कमी आती है।

हिन्दू धर्म में Magh Mela का विशेष महत्व क्यों है?

हिन्दू धर्म में Magh Mela एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है जो हर वर्ष माघ मास में होता है। इसे ‘माघ मास का मेला’ भी कहा जाता है और यह धार्मिक दृष्टि से बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस मेले का आयोजन प्रयागराज (इलाहाबाद) में किया जाता है, जहां गंगा, यमुना, और सरस्वती नदी का संगम होता है।

मान्यता:पापों का होता है नाश, मोक्ष की होती है प्राप्ति

Magh Mela (माघ मेला) का आयोजन अक्टूबर से मार्च तक चलने वाले माघ मास में होता है, और इसके अंतर्गत लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। मुख्यत: स्नान का अद्वितीय महत्व है, जो संगम स्थल पर ही किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, माघ मास में संगम स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

माघ में है कल्पवास की परंपरा

Magh Mela का आयोजन मकर संक्रांति के साथ होता है, जो जनवरी-फरवरी में होता है। इसके दौरान कल्पवास की परंपरा भी है, जिसमें साधु-संत एक विशेष तपस्या में रहते हैं और व्रत, पूजा, और ध्यान के माध्यम से अपने मन को नियंत्रित करते हैं। इस धार्मिक महोत्सव के दौरान, लोग भगवान का स्मरण करते हैं, पुण्य कार्यों में लगते हैं और साधु-संतों से धार्मिक बातचीत करते हैं।

बढ़ता है सामाजिक-सांस्कृतिक जुड़ाव

यहां होनेवाले जुटान में सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का भी हुआ करता है, जिससे लोग एक-दूसरे के साथ जुड़ सकते हैं और सामूहिक एकता की भावना को बढ़ावा मिलता है। इस धार्मिक महोत्सव के दौरान बाजारों में विभिन्न प्रकार के वस्त्र, पूजा सामग्री, और भोजन का विक्रय होता है। ऐसा करने से स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलता है और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होती है।

Magh Mela 2024: स्नान की तिथियां

साल 2024 में माघ मेला 15 जनवरी से शुरू होगा, जो मकर समाप्त होगा महाशिवरात्रि के दिन स्नान करने के साथ। माघ मेले में प्रमुख स्नान की तिथियां शामिल हैं:

– मकर संक्रांति – 15 जनवरी 2024: पहला स्नान

– पौष पूर्णिमा (कल्पवास) – 25 जनवरी 2024: दूसरा स्नान

– मौनी अमावस्या – 9 फरवरी 2024: तीसरा स्नान

– बसंत पंचमी – 14 फरवरी 2024: चौथा स्नान

– माघ पूर्णिमा – 24 फरवरी 2024: पांचवा स्नान

– महाशिवरात्रि – 8 मार्च 2024: आखिरी स्नान

Magh Mela  में धार्मिक कार्यक्रम

इस दौरान, संगम तट पर भव्य मेला होता है, जिसमें कई साधु, संत, और धार्मिक गुरुओं के साथ कल्पवास करने वाले व्यक्तियों की संख्या बड़ती है। कल्पवास से साधक को मन और इंद्रियों पर नियंत्रण करने की शक्ति प्राप्त होती है और उन्हें आध्यात्मिक सुधार भी मिलता है।

 

 

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