प्रयागराज: महाकुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। यह मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है और इसमें दुनिया भर से साधु-संतों और श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है। इस बार महाकुंभ मेला विशेष रूप से आकर्षक होगा, क्योंकि इसमें सनातन धर्म के अनुयायी अपने श्रद्धा भाव से भाग लेंगे और धार्मिक व आध्यात्मिक आयोजनों के बीच एक नया तकनीकी पहलू भी देखने को मिलेगा। यहां पर एक ऐसा बाबा भी आए हैं जो डिजिटल दुनिया से जुड़े हुए हैं।
उदयपुर के मौनी बाबा का डिजिटल तरीका
इस बार महाकुंभ मेला में एक बहुत ही खास बाबा आए हैं, जिनका नाम है मौनी बाबा रामानुजपुरी जी महाराज। ये बाबा राजस्थान के उदयपुर से आए हैं और पूरी तरह से डिजिटल तरीकों से अपने संदेशों को व्यक्त करते हैं। यह बाबा लगभग 12 साल से मौन व्रत धारण किए हुए हैं, लेकिन उनकी मौन स्थिति के बावजूद वे अपनी बातों को पूरी तरह से डिजिटल बोर्ड के माध्यम से व्यक्त करते हैं। उनके पास कोई पुराने जमाने का कागज-कलम नहीं होता, बल्कि वे एक स्मार्ट डिजिटल बोर्ड का इस्तेमाल करते हैं। इस डिजिटल बोर्ड पर वह अपनी आवश्यकताएं और संदेश लिखते हैं, जो उनके शिष्य आसानी से समझ लेते हैं।
डिजिटल बोर्ड से संवाद
मीडिया से बात करते हुए मौनी बाबा के शिष्य ने बताया कि बाबा जी के इशारों को शिष्य समझने में सक्षम होते हैं, लेकिन उनका डिजिटल बोर्ड उनके लिए एक अहम उपकरण बन गया है। बाबा जब भी कुछ बताना चाहते हैं, तो वह बोर्ड पर पेन से लिखते हैं, और एक बटन दबाते ही पूरी तरह से लिखा हुआ मिट जाता है। यह डिजिटल बोर्ड बाबा जी की मौन व्रति के बीच एक अहम कड़ी है, जो उन्हें अपने संदेशों को सटीक रूप से प्रकट करने का अवसर प्रदान करता है।
मौन धारण का उद्देश्य
मौनी बाबा रामानुजपुरी जी महाराज के मौन धारण करने के पीछे एक गहरा उद्देश्य है। उनके शिष्य के अनुसार, बाबा जी का यह मौन व्रत सनातन धर्म के उत्थान के लिए है। उनका मानना है कि सनातन धर्म को लेकर जो कुछ भी भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं, उन्हें समाप्त करना उनका मुख्य उद्देश्य है। इसके साथ ही, उनका यह भी मानना है कि जब तक भारत में मौजूद सभी मुसलमान सनातन धर्म को स्वीकार नहीं कर लेते, तब तक वे मौन रहेंगे। बाबा का यह दृढ़ विश्वास है कि भारत में धर्म और संस्कृति को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए यह मौन एक महत्वपूर्ण कदम है।
महाकुंभ में तकनीकी और आध्यात्मिक का मिलाजुला रूप
महाकुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मेला भी है, जो विभिन्न प्रकार के अनुभवों का संगम है। जहां एक ओर श्रद्धालु गंगा यमुना के संगम पर पवित्र डुबकी लगाते हैं, वहीं दूसरी ओर इस मेले में नए-नए बदलाव और डिजिटल तकनीक का भी समावेश हो रहा है। मौनी बाबा का डिजिटल बोर्ड इस बात का प्रतीक है कि आध्यात्मिकता और तकनीक का समागम एक साथ हो सकता है।
मौलिकता और परिवर्तन का संगम
महाकुंभ मेला 2025 में जहां एक ओर हम धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को देखकर अभिभूत होते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे आधुनिक प्रयोग भी हो रहे हैं जो परंपरा और तकनीक का अद्भुत मिलाजुला रूप प्रस्तुत करते हैं। मौनी बाबा जैसे उदाहरण यह साबित करते हैं कि आधुनिक तकनीक का उपयोग धार्मिक संदेशों को प्रसारित करने और समाज में जागरूकता फैलाने के लिए किया जा सकता है।
इस बार के महाकुंभ मेला में सिर्फ आध्यात्मिकता ही नहीं, बल्कि एक नई दिशा में बदलाव की झलक भी देखने को मिलेगी, जो भविष्य में और भी अधिक प्रभावशाली हो सकता है। जैसे-जैसे महाकुंभ मेला आगे बढ़ेगा, ऐसे और भी डिजिटल और आध्यात्मिक प्रयोग देखने को मिल सकते हैं, जो इस आयोजन को और भी विशेष बना देंगे।