जमशेदपुर : MLA Saryu Rai Announced Mass Movement : जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने इंद्रानगर-कल्याणनगर के 150 घरों को तोड़ने के विरुद्ध जन आंदोलन का ऐलान किया है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक के बाद एक लगातार तीन ट्वीट में उन्होंने कहा है कि जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम) ज़िला प्रशासन द्वारा मनमाना JPLE (झारखंड पब्लिक लैंड एन्क्राचमेंट) नोटिस देकर घरों को तोड़ने की साज़िश के विरूद्ध जन आंदोलन होगा। आज इंद्रानगर-कल्याणनगर को नोटिस है तो कल बिरसानगर की बारी आएगी। कांग्रेस के चुनावी चेहरे ‘चोर को कहो चोरी करो और साहूकार को कहो जागते रहो’ की दोहरी नीति पर चल रहे हैं।
एक अन्य ट्वीट में विधायक राय ने लिखा है कि सरकार में भागीदार नेताओं को बताना होगा कि जब एनजीटी का कोई आदेश इन बस्तियों के घरों को तोड़ने का नहीं है, तब जमशेदपुर प्रशासन ने बस्तीवासियों को घर तोड़ने का नोटिस क्यों दिया? प्रशासन से नोटिस दिलवाना और नोटिस के खिलाफ बस्ती में खड़ा होना दोहरा चरित्र है।
#जमशेदपुर ज़िला प्रशासन द्वारा मनमाना #JPLE नोटिस देकर घरों को तोड़ने की साज़िश के विरूद्ध जनान्दोलन होगा. आज इन्द्रा नगर-कल्याण नगर को नोटिस है तो कल बिरसा नगर की बारी होगी. #कांग्रेस के चुनावी चेहरे “चोर को कहो चोरी करो और साहूकार को कहो जागते रहो” की दोगली नीति पर चल रहे हैं.
— Saryu Roy (@roysaryu) August 23, 2024
सरयू राय ने एक्स पर लिखा है कि एनजीटी कोलकाता बेंच ने इंद्रानगर-कल्याणनगर के घरों को तोड़ने के लिए अंचल अधिकारी,जमशेदपुर की नोटिस के विरूद्ध बस्तीवासियों द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका को इस आधार पर ख़ारिज कर दिया कि इसका कोई संबंध एनजीटी के आदेश से नहीं है. यानी यह नोटिस झारखंड सरकार ने अपने स्तर से दिया है।
उधर, इसी संबंध में सरयू राय ने एक बयान जारी कर कहा कि एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल) ने इंद्रानगर-कल्याणनगर के बस्तीवासियों का घर टूटने के विरूद्ध बस्तीवासियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता संजय उपाध्याय द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका इस आधार पर सुनने से इंकार कर दिया कि बस्तीवासियों का घर तोड़ने के लिए जमशेदपुर के अंचलाधिकारी द्वारा दी गई नोटिस का एनजीटी के प्रासंगिक मुक़दमा से कोई संबंध नहीं है।
.@HemantSorenJMM सरकार में भागीदार नेताओं को बताना होगा कि जब एनजीटी का कोई आदेश इन्द्रा नगर-कल्याण नगर के घरों को तोड़ने का नहीं है तब जमशेदपुर प्रशासन ने बस्तीवासियों को घर तोड़ने का नोटिस क्यों दिया?प्रशासन से नोटिस दिलवाना और नोटिस के खिलाफ बस्ती मे खड़ा होना दोहरा चरित्र है.
— Saryu Roy (@roysaryu) August 23, 2024
सरयू राय के अनुसार, एनजीटी ने वरीय अधिवक्ता को सुनने के बाद कहा कि जमशेदपुर अंचलाधिकारी की नोटिस का न तो दलमा इको सेंसिटिव ज़ोन से इन घरों की दूरी का कोई संबंध है और न ही स्वर्णरेखा नदी तट से इनकी दूरी का कोई संबंध है। जमशेदपुर के अंचलाधिकारी की यह नोटिस विशुद्ध रूप से ज़िला प्रशासन का मामला है।
जमशेदपुर पूर्वी के विधायक ने बताया कि वरीय अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि जमशेदपुर के तमाम अख़बारों में प्रमुखता से खबर प्रकाशित हो रही है कि इन्द्रा नगर- कल्याण नगर के क़रीब 150 घरों को तोड़ने की नोटिस जिला प्रशासन ने एनजीटी के आदेश पर किया है तो एनजीटी की बेंच ने कहा कि इन घरों का उल्लेख एनजीटी के आदेशानुसार गठित संयुक्त जाँच समिति के प्रतिवेदन में नहीं है। झारखंड सरकार के वन पर्यावरण विभाग की रिपोर्ट में भी इनका उल्लेख नहीं है।
झारखंड सरकार के मुख्य सचिव ने अभी तक शपथ पत्र नहीं दिया है किससे घर तोड़े जाएँगे?
एनजीटी कोलकाता बेंच ने इन्द्रा नगर- कल्याण नगर के घरों को तोड़ने के लिए अंचल अधिकारी,जमशेदपुर की नोटिस के विरूद्ध बस्तीवासियों द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका को इस आधार पर ख़ारिज कर दिया कि इसका कोई संबंध एनजीटी के आदेश से नहीं है.यानी यह नोटिस झारखंड सरकार ने अपने स्तर से दिया है.
— Saryu Roy (@roysaryu) August 23, 2024
एनजीटी ने बस्तीवासियों के अधिवक्ता श्री संजय उपाध्याय की दलील पर कहा कि आगे कभी झारखंड सरकार के किसी प्रतिवेदन में अथवा मुख्य सचिव के शपथ पत्र में इन घरों को एनजीटी के निर्देशानुसार तोड़ने की बात आएगी तो उस समय आप इस मामला को लेकर एनजीटी के सामने आने के लिए स्वतंत्र हैं।
श्री राय के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता श्री संजय उपाध्याय ने की बात को कोर्ट ने ध्यान से सुना जिसमें उन्होंने कहा कि जमशेदपुर ज़िला प्रशासन ने एनजीटी के आदेश का हवाला देकर इन्द्रा नगर- कल्याण नगर के घरों को तोड़ने की नोटिस दिया है तो कोर्ट ने कहा कि ऐसा होगा तब हम आपकी बात ज़रूर सुनेंगे।