गोरखपुर : मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMUT) ने M.Tech करने वाले विद्यार्थियों को बड़ी राहत दी है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने एमटेक की फीस आधी कर दी है, जिससे उच्चतर तकनीकी शिक्षा अब अधिक सुलभ हो जाएगी। यह निर्णय आगामी शैक्षणिक सत्र से प्रभावी होगा।
विद्या परिषद से मंजूरी, अब वित्त समिति में रखा जाएगा प्रस्ताव
विश्वविद्यालय की विद्या परिषद ने इस निर्णय को मंजूरी दे दी है। अब यह प्रस्ताव वित्त समिति की अगली बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा, जिसके बाद इसे औपचारिक रूप से लागू किया जाएगा।
एमटेक में घटती रुचि बनी कारण
बीते कुछ वर्षों से एमटेक को लेकर छात्रों का रुझान कम हुआ है। विश्वविद्यालय को यह चिंता सताने लगी थी कि मेधावी छात्र शोध और पीएचडी जैसे क्षेत्रों में आगे नहीं बढ़ रहे। क्योंकि पीएचडी में प्रवेश के लिए एमटेक आवश्यक होता है, ऐसे में विद्यार्थियों का झुकाव MBA जैसे पाठ्यक्रमों की ओर हो गया था।
तीन सदस्यीय समिति ने की सिफारिश
विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रो. जीऊत सिंह, प्रो. वीके द्विवेदी और प्रो. प्रभाकर तिवारी की समिति गठित की। समिति ने पाया कि MMMUT की फीस कई NITs की तुलना में अधिक है। साथ ही B.Tech की डिग्री के बाद भी छात्रों को नौकरी मिलने की संभावना होने से वे एमटेक नहीं कर रहे। समिति की सिफारिश पर ही फीस घटाने का निर्णय लिया गया।
अब इतने में होगी एमटेक की पढ़ाई
पहले
कुल वार्षिक फीस: ₹1,20,000 (हॉस्टल व मेस शुल्क छोड़कर)
बाहर रहने वालों के लिए: ₹1,22,500
अब नई व्यवस्था (प्रति सेमेस्टर)
प्रथम वर्ष हॉस्टलवासी छात्रों के लिए
शिक्षण शुल्क: ₹10,000
परीक्षा शुल्क: ₹5,000
यूजर चार्ज: ₹1,000
रिसर्च इनिशिएटिव: ₹1,250
बस चार्ज: ₹1,250
काशन मनी: ₹5,000
कुल: ₹23,500 (हॉस्टल व मेस शुल्क अलग)
प्रथम वर्ष परिसर से बाहर के छात्रों के लिए
बस चार्ज: ₹2,500 (बाकी शुल्क समान)
कुल: ₹24,750
द्वितीय वर्ष से फीस
हॉस्टलवासी छात्रों के लिए: ₹18,500
बाहर रहने वाले छात्रों के लिए: ₹19,750
पीएचडी छात्रों को अब मिलेगी ₹18,000 की मासिक फेलोशिप
MMMUT प्रशासन ने पीएचडी छात्रों की फेलोशिप को भी बढ़ाकर ₹18,000 प्रतिमाह कर दिया है, जिससे रिसर्च के लिए अधिक छात्रों को प्रेरित किया जा सके। यह फेलोशिप तीन वर्षों तक दी जाएगी। चौथे वर्ष उन्हीं शोधार्थियों को फेलोशिप मिलेगी, जिनका शोधपत्र किसी प्रतिष्ठित जर्नल (SCI, SCIE, SSCI) में प्रकाशित हुआ हो।
“शोध के प्रति तकनीकी विद्यार्थियों का रुझान बढ़ाने के लिए हमने एमटेक की फीस कम करने का निर्णय लिया है। इससे एमटेक के प्रति मोहभंग खत्म होगा और विश्वविद्यालय को मेधावी शोधार्थी मिलेंगे।”
— प्रो. जेपी सैनी, कुलपति, MMMUT