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चांद, सूरज और अब जल मिशन, जानिये क्या है मिशन ‘समुद्रयान’ और इससे क्या फायदा होगा?

by Rakesh Pandey
चांद सूरज और अब जल मिशन जानिये क्या है मिशन समुद्रयान
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सेंट्रल डेस्क। चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान -3 की सफल लैंडिंग और सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य एल 1 मिशन के बाद भारत अपने पहले मानवयुक्त महासागर मिशन की तैयारी में जुटा हुआ है। इस मिशन को “समुद्रयान” नाम दिया गया है। इस मिशन के तहत 3 वैज्ञानिकों को एक स्वदेशी पनडुब्बी मत्स्य-6000 में बैठाकर 6,000 मीटर की गहराई तक भेजा जाएगा।

चांद सूरज और अब जल मिशन जानिये क्या है मिशन समुद्रयान

सोमवार को केंद्रीय मंत्री नीति श्री रिजिजू ने ‘मत्स्य 6000’ पनडुब्बी का निरीक्षण किया, जो भारतीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) में चेन्नई में विकसित किया जा रहा है। ‘मत्स्य 6000’ भारत के महासागर मिशन ‘समुद्रयान’ के हिस्से के रूप में काम करेगी और महासागर की गहराई का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन की गई है। इसके चलने पर, तीन भारतीय वैज्ञानिक समुद्र की गहराइयों में जाकर खनिजों और संसाधनों के अध्ययन कर सकेंगे, जिसका मूल्यांकन किया जा सकेगा।

क्या है समुद्रयान मिशन?

भारत का पहला मानवीय पनडुब्बी मिशन, जिसे समुद्रयान मिशन (Samudrayan Mission) के रूप में जाना जा रहा है, समुद्र की गहराई में जाने का प्रयास करेगा। इस मिशन के अंतर्गत, वैज्ञानिक टीम समुद्र के 6000 मीटर तक की गहराई में जाएगी और वहां पर विशेष उपकरणों और सेंसर्स का उपयोग करके समुद्र के संसाधनों की खोज और रिसर्च करेगी। इस मिशन से हम नए और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक ज्ञान की प्राप्ति की ओर बढ़ रहे हैं।

समुद्रयान मिशन से फायदा

समुद्रयान मिशन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मिशन हमें समुद्र के रहस्यों को समझने में मदद करेगा। समुद्र पृथ्वी का सबसे बड़ा जलाशय है, और इसमें जीवन के लिए आवश्यक कई संसाधन हैं। समुद्रयान मिशन से हमें समुद्र में पाए जाने वाले जीवों और वनस्पतियों के बारे में और कई खनिजों के बारे में अधिक जानकारी मिलेगी। इसके अलावा, समुद्रयान मिशन से हमें समुद्र के नीचे के संसाधनों की खोज में मदद मिलेगी।

क्यों जरूरी है समुद्रयान मिशन?

यह मिशन भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके जरिए हम महासागरों की गहराइयों में कोबाल्ट, मैगनीज, और अन्य दुर्लभ खनिजों की खोज कर सकेंगे, जो बैटरी तकनीक में महत्वपूर्ण हैं। लिथियम, कोबाल्ट, निकल, और तांबा बैटरी वाली गाड़ियों के लिए आवश्यक होते हैं, और साल 2023 तक हमें इन खनिजों की जरूरत में वृद्धि की आशंका है। इस मिशन के माध्यम से हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए नए स्रोतों की खोज कर सकेंगे, जिससे हमारी बैटरी तकनीक में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।

समुद्रयान मिशन की चुनौतियां

समुद्रयान मिशन एक चुनौतीपूर्ण मिशन है। 6,000 मीटर की गहराई पर पानी का दबाव बहुत अधिक होता है। इस दबाव को सहन करने के लिए पनडुब्बी को बहुत मजबूत होना चाहिए। इसके अलावा, 6,000 मीटर की गहराई पर ऑक्सीजन की कमी होती है। इस कमी को पूरा करने के लिए पनडुब्बी में पर्याप्त ऑक्सीजन का भंडार होना चाहिए।

क्या है तैयारी?

‘Matsya 6000’ सबमर्सिबल टेस्टिंग के लिए बंगाल की खाड़ी में उतारा जाएगा, जहां इसे 500 मीटर की गहराई में प्रक्षिप्त किया जाएगा। इसके बाद, साल 2026 तक, इस सबमर्सिबल को तीन भारतीय वैज्ञानिकों के साथ लेकर महासागर की 6000 मीटर तक की गहराई में जाया जाएगा। इस मिशन से हम महासागर की गहराइयों में खनिजों की खोज कर सकेंगे और नई जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, जो हमारे वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देगी।

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