सेंट्रल डेस्क। NASA-ISRO के साझा मिशन के तहत निसार मिशन 2025 के शुरूआत में लांच होने के लिए तैयार है। यह सैटेलाइट प्राकृतिक आपदाओं के संबंध में जानकारियां देगा। यह एक तरह का जासूस सैटेलाइट होगा। इस सैटेलाइट का काम अंतरिक्ष से भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और भूस्खलन जैसी नेचुरल डिजास्टर का अलर्ट पहले ही दे देगा।
इससे हजारों-लाखों लोगों की जानें बच सकती है। निसार सैटेलाइट को मानव इतिहास का सबसे ताकतवर उपग्रह बताया जा रहा है। इस सैटेलाइट को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) और अमेरिकी स्पेस एजेंसी (NASA) ने मिलकर बनाया है। यह इकलौता सैटेलाइट पूरी दुनिया में आने वाली किसी भी तरह की आपदा की जानकारी देने में सक्षम है।
क्या कर सकता है NISAR
अंतरिक्ष में तैनात किया जाने वाला यह उपग्रह भूकंप, भूस्खलन, जंगल की आग, बारिश, चक्रवाती तूफान, हरिकेन, बारिश, बिजली का गिरना, ज्वालामुखी का फटना टेक्टोनिक्स प्लेट्स की मूवमेंट… जैसी हर चीज पर नजर बनाए रखेगी। यह प्राकृतिक आपदाओं के घटित होने से पहले ही सूचित कर देगा।
कैसे करेगा काम
NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) इतना पावरफुल है कि टेक्टोनिक प्लेट्स के मूवमेंट को सेंटीमीटर के स्तर तक रिकॉर्ड कर सकता है। निसार धरती का एक चक्कर 12 दिन में लगाएगा। कम या अधिक मूवमेंट से पता चल सकेगा कि भूकंप कब और कहां आ सकता है। इसमें एक बड़ा मेन बस होगा, जिसके भीतर कई इंस्ट्रुमेंट होंगे। ट्रांसपोंडर्स, टेलीस्कोप औऱ रडार सिस्टम होगा। इसमें से आर्म निकलेगा, उसके ऊपर एक सिलिंडर लगा होगा। लांच के कुछ घंटों बाद यह सिलेंडर खुलेगा, तो इसमें डिश एंटीना जैसी एक बड़ी छतरी निकलेगी। यह छतरी ही सिंथेटिक अपर्चर रडार है।
हर 12 दिन में नई जानकारी
निसार हर 12 दिन में धरती की नई रडार है। निसार की एप्लीकेशन प्रमुख कैथलीन जोन्स ने बताया कि 12 दिन में निसार दूसरा चक्कर लगाएगा। 12 दिनों के भीतर धरती पर आने वाले बदलाव का पता चल जाएगा। हम बेहद सटीक तरीके से जान पाएंगे कि किस देश में कैसा मौसम है या किस तरह की प्राकृतिक आपदा आने की संभावना है।
किस जगह से होगी लांचिंग
निसार की लांचिंग जीएसएलवी-एमके-2 रॉकेट द्वारा लांच किया जाएगा। यह लांचिंग श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लांच पैड से होगी। सैटेलाइट एवं पेलोंड की कई बार टेस्टिंग की जा चुकी है। निसार दुनिया का सबसे महंगा अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है। इस की लागत 10 हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है। किसी शहर के धंसने की खबर से लेकर धरती के चारों ओऱ जमा हो रहे कचरे की भी जानकारी देगा।