पलामू (झारखंड): झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। वर्षों तक बंदूकों के साये में जीने वाले इलाकों में अब किताबों की आवाज गूंजने लगी है। खासकर पलामू जिले के मनातू थाना क्षेत्र स्थित कार्तिक उरांव प्लस टू उच्च विद्यालय इसका जीवंत उदाहरण है, जहां बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन शिक्षकों की भारी कमी के कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रभावित हो रही है।
2019 में 400, अब 754 छात्र, हर कक्षा में 250 से 300 छात्र
2019 में जहां इस स्कूल में मात्र 400 छात्र थे, अब उनकी संख्या 754 तक पहुंच चुकी है। पहले जहां एक कक्षा में लगभग 100 से 150 छात्र होते थे, अब 300 से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं। यह वृद्धि दर्शाती है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बच्चों में शिक्षा के प्रति विश्वास और रुचि लगातार बढ़ रही है।
प्लस टू की मान्यता के बाद नहीं बढ़ी शिक्षक संख्या
कार्तिक उरांव स्कूल को कुछ साल पहले प्लस टू की मान्यता तो मिल गई, लेकिन शिक्षक संख्या बढ़ाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। वर्तमान में 754 छात्रों को सिर्फ तीन शिक्षक पढ़ा रहे हैं। कई बार कक्षाएं मर्ज कर पढ़ानी पड़ती है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
छात्रों ने जताई चिंता, शिक्षकों की नियुक्ति की मांग
छात्र मोहम्मद फैजान अली और आकांक्षा कुमारी ने बताया कि स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है। आकांक्षा ने कहा, “अब हमें 20 किलोमीटर दूर नहीं जाना पड़ता, लेकिन यदि शिक्षकों की संख्या नहीं बढ़ी, तो सुविधा का लाभ अधूरा रह जाएगा।”
शिक्षकों की नियुक्ति की योजना पर काम जारी -जिला शिक्षा अधीक्षक
जिला शिक्षा अधीक्षक सौरव प्रकाश ने बताया कि “शिक्षकों की संख्या बढ़ाने की योजना चल रही है। विशेष रूप से नक्सल इलाकों में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर कदम उठाए जा रहे हैं।”
पलामू के 189 हाईस्कूलों में पढ़ते हैं 1 लाख से अधिक छात्र
पलामू जिले में लगभग 189 सरकारी हाईस्कूल हैं, जिनमें 1 लाख से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं। अकेले मनातू के चक हाईस्कूल में 1600 से अधिक छात्र और पिपरा के धनमनी हाईस्कूल में 1500 से ज्यादा छात्र पंजीकृत हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि ड्रॉपआउट दर में भारी गिरावट आई है और शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है।
पुलिस और प्रशासन ने मिलकर बदला माहौल
नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस प्रशासन की सक्रिय भूमिका से भी बच्चों का मनोबल बढ़ा है। कई मौकों पर पुलिस अधिकारियों ने स्कूल जाकर न केवल बच्चों की समस्याएं सुनीं, बल्कि कक्षा में शिक्षक की भूमिका निभाकर बच्चों को पढ़ाया भी है। यह पहल छात्रों में विश्वास और प्रेरणा का स्रोत बनी है।


