Home » कैंसर के इलाज की नयी तकनीक आयी : भारतीय युवक ने विकसित किया साफ्टवेयर, इन देश में शुरू हो गया इस्तेमाल, 20 हजार लोगों का हुआ इलाज

कैंसर के इलाज की नयी तकनीक आयी : भारतीय युवक ने विकसित किया साफ्टवेयर, इन देश में शुरू हो गया इस्तेमाल, 20 हजार लोगों का हुआ इलाज

by Rakesh Pandey
Tech News Updates New technique of cancer treatment came, Indian youth developed software, started using in this country, 20 thousand people were treated
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

टेक डेस्क, नई दिल्ली : कैंसर के मरीजों के लिए अच्छी खबर है। एक भारतीय युवक की ओर से विकसित की गयी तकनीक से कैंसर मरीजों को बड़ी राहत मिल रही है। नयी सेवा की शुरुआत अमेरिका में हुई है। इससे हजारों मरीजों को नया जीवन मिला है। नयी विधि के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करते हुए मरीज के टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर उसकी दवा व ट्रीटमेंट समेत तमाम बातें सॉफ्टवेयर बता रहा है। सॉफ्टवेयर मरीज की स्थिति का आकलन कर डॉक्टरों को प्रयोग से संबंधित जानकारी दे रहा है।

बेहद खास बात यह है कि इस सॉफ्टवेयर को झारखंड के जमशेदपुर के राजेंद्र विद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र अभिषेक कुमार ने तैयार किया है। इसका इस्तेमाल अमेरिका के लॉस एंजेलिस स्थित प्रसिद्ध सिटी ऑफ होप कैंसर रिसर्च हॉस्पिटल में चार वर्षों से हो रहा है।

कैंसर मरीजों को मिला नयी तकनीक से फायदा

अब तक कैंसर के करीब 20 हजार मरीजों के जीवन काल बढ़ाने में मदद मिली है। बीमारी की अवधि में होने वाले शारीरिक कष्ट को अपेक्षाकृत कम करने में सफलता मिली है। इस सफलता के बाद अमेरिका के लॉस एंजेलिस के सिटी ऑफ होप कैंसर रिसर्च हॉस्पिटल ने इस सॉफ्टवेयर की कंपनी ही स्थापित कर दी है, जिसका नाम एक्सिस होप है। साथ ही, सॉफ्टवेयर को तैयार करने वाले अभिषेक को एक्सिस होप ने चीफ इनफॉर्मेशन ऑफिसर से प्रोमोट कर कंपनी का सीनियर वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया है। अब इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल पूरे अमेरिका में हो रहा है।

सॉफ्टवेयर से केस हिस्ट्री जानने के बाद, बेहतर ढंग से इलाज में मिल रही मदद 

अमेरिका के लॉस एंजेलिस स्थित प्रसिद्ध सिटी ऑफ होप कैंसर रिसर्च हॉस्पिटल में आम तौर पर कैंसर के अंतिम स्टेज पर पहुंचने वाले मरीज इलाज करवाने जाते हैं। यहां मरीजों के इलाज के दौरान लिये गये विभिन्न टेस्ट व डेटा को सॉफ्टवेयर में फीड किया जाता है। इसके आधार पर एआइ (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ) यह सेंस कर लेता है कि मरीज का इलाज किस दिशा में चल रहा है।

साथ ही, उस पर किस ड्रग का इस्तेमाल करना फायदेमंद होगा या नहीं। मरीज के साथ अगला कोर्स ऑफ एक्शन क्या हो, ताकि मरीज की जान बचायी जा सके। मरीज के अगले पांच से 10 साल की स्थिति का आकलन भी कर लिया जाता है। इससे डॉक्टरों को इलाज व रिसर्च में सहूलियत हो रही है। इस तकनीक को मेडिकल शोध में क्रांतिकारी कदम बताया जा रहा है।

यूरोप, मिडिल ईस्ट व साउथ एशिया में अब सेवा विस्तार की योजना 

अभिषेक ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल अमेरिका के 10 फीसदी कैंसर मरीजों के बीच किया जा रहा है। हालांकि आने वाले दो साल में इसे 60 से 70 फीसदी तक बढ़ाने की योजना पर काम कर रहे हैं, अन्य देशों के मरीजों को भी इसका लाभ मिल सके। इसके फायदे को देखते हुए फिलहाल यूरोप, मिडिल ईस्ट और साउथ एशिया के विभिन्न देशों में इसका विस्तार किया जायेगा. इसे लेकर तैयारी चल रही है।

पांच से 10 साल बढ़ जाती है मरीजों की लाइफ 

अभिषेक ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से कैंसर के मरीजों की क्वालिटी ऑफ लाइफ कम से कम पांच से 10 साल बढ़ जाती है। क्योंकि कैंसर के इलाज में काफी अग्रेसिव ट्रीटमेंट होती है, जिससे मरीजों को काफी तकलीफ होती है। लेकिन इस सॉफ्टवेयर से उनकी तकलीफ भी काफी दूर हो जाती है। साथ ही समय के साथ सही ट्रिटमेंट से मरीज को काफी फायदा हो रहा है।

Read Also;सेहत की बात: बरसात में बढ़ जाता है इन बीमारियों का खतरा, मच्छरजनित रोगों से बचने के ये हैं उपाय

राजेंद्र विद्यालय से की है 12वीं की पढ़ाई 

अभिषेक कुमार ने 12वीं तक की पढ़ाई झारखंड के पूर्वी सिंहभू जिले के जमशेदपुर स्थित राजेंद्र विद्यालय से पूरी की है। इसके बाद उन्होंने ट्रिपल आइटी कलकत्ता से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। इसके बाद मैसूर की सॉफ्टवेयर कंपनी में प्लेसमेंट मिली, लेकिन वहां कुछ दिनों तक कार्य करने के बाद पुणे की मेसर्स पर्सिसटेंट कंपनी ज्वाइन किया।

वहां बेहतर कार्य करने के बाद उसी कंपनी ने अमेरिका के पर्सिसटेंट ओवरसीज में ट्रांसफर किया। उनकी कंपनी की क्लाइंट सिटी ऑफ होप कैंसर रिसर्च हॉस्पिटल थी।बाद में उक्त हॉस्पिटल ने अभिषेक को अपने साथ जोड़ लिया और उन्होंने कैंसर पर आधारित एक सॉफ्टवेयर तैयार किया। अभिषेक के पिता डॉ एसके सिंह टाटा स्टील के कैपेबिलिटी डिपार्टमेंट के रिटायर्ड अधिकारी हैं. वे बीए इंजीनियरिंग कॉलेज के चेयरमैन भी हैं।

Read Also;डायबिटीज का तेजी से बढ़ रहा दायरा: जाने क्यों और कैसे बढ़ रहा बीमारी का प्रसार, कारण जानकर रह जाएंगे हैरान

Related Articles