कोलकाता: दुर्गा पूजा का त्यौहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर यह त्यौहार पश्चिम बंगाल में काफी प्रसिद्ध है। यहां के लोग जहां भी रहते हैं दुर्गा पूजा बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इस समय ऐसा कोई भी नहीं दिखता है कि वह धूम धड़ाका के मूड में न दिखें। ऐसे समय में बंगाल के कैदियों के खाने में भी खास ख्याल रखा जाता है। इसका कारण यह है कि कैदी अपने आप को उपेक्षित महसूस न करें।
इस बार के दुर्गापूजा पर षष्ठी (9 अक्टूबर) से दशमी (12 अक्टूबर) तक सुधार गृह में दुर्गा पूजा के दौरान कैदियों के लिए मेन्यू में कुछ बदलाव किये हैं। इस मेन्यू के हिसाब से कैदियों को मटन बिरयानी, बसंती पुलाव और कई अन्य तरह के बंगाली डिश परोसने की प्लानिंग की गई है।
सरकार देती है दशमी के दिन मिठाई के लिए केवल 10 रुपये
धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए सभी को मांसाहारी भोजन नहीं परोसा जाएगा। कैदी अपनी पसंद का भोजन चुन सकते हैं। इस मामले में मेदिनीपुर के जेलर विजय कुमार सिंह ने बताया कि यह सरकार के नियम में नहीं है। स्थानीय स्तर पर किया जाता है। सरकार दशमी के दिन एक मिठाई के लिए केवल 10 रुपये देती है। यह इसलिए किया जाता है कि हम उनकी दिनचर्या में बदलाव लाना चाहते हैं।
त्योहार पर कैदी भी चाहते है मनचाहा भोजन
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि हमें हर त्यौहार के दौरान बेहतर भोजन के लिए कैदियों से अनुरोध मिलते हैं। इस साल हमारे पास एक नया मेनू है और हमें उम्मीद है कि यह उनके चेहरों पर मुस्कान लाएगा। उन्होंने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से इसे उनके सुधार के लिए एक बहुत ही सकारात्मक कदम मानता हूं।
बंगाली भोजन का स्वाद चखेंगे कैदी
रसोइया के रूप में काम करने वाले कैदी व्यंजन तैयार करेंगे। परोसे जाने वाले व्यंजनों में ‘माछेर माथा दिए पुई शाक’ (मछली के सिर के साथ पालक), ‘माछेर माथा दिए दाल’ (मछली के सिर के साथ दाल), ‘लूची-छोलर दाल’ (पूरी और बंगाली चना दाल), चिकन करी, ‘आलू पोटोल चिंगड़ी’ (आलू के साथ झींगा मछली), ‘रायता’ (मिश्रित दही) के साथ मटन बिरयानी और ‘बसंती पुलाव’ (पीला पुलाव) सहित कई डिश शामिल हैं।
सुधार गृह में हैं कितने पुरूष और महिलाएं
रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 59 सुधार गृहों में अब 26,994 पुरुष और 1,778 महिलाएं बंद हैं।

