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जम्मू-कश्मीर के सदन में पक्ष-विपक्ष आमने-सामने, Article 370 पर फिर छिड़ी बहस

हालात इतने बिगड़ गए कि मार्शल को बीच बचाव के लिए आना पड़ा। इशके बाद मामले को शांत करने के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।

by Reeta Rai Sagar
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Jammu-Kashmir Assembly: 7 नवंबर की सुबह जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जमकर बवाल हुआ। इससे पहले यानी 6 नवंबर को सदन में राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने की वापसी वाला प्रस्ताव पास किया गया था। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने उस प्रस्ताव की कॉपी को फाड़ दिया। अगले दिन गुरुवार को मामला एक लेवल ऊपर चढ़ा और बात धक्का-मुक्की तक पहुंच गई।

पक्ष-विपक्ष में तकरार

सदन की कार्यवाही के शुरू होते ही दोनों पक्षों के विधायक आमने-सामने आ गए। स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए सदन को स्थगित कर दिया गया है। दरअसल सदन की कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा सांसद इंजीनियर राशिद के भाई खुर्शीद अहमद शेख ने सदन में आर्टिकल-370 का बैनर दिखाया। इस पर बीजेपी के नेता सुनील शर्मा ने विरोध जताया। विरोध के बाद पक्ष-विपक्ष आमने-सामने आ गए।

प्रस्ताव की प्रतियां फाड़ डालीं

इतना ही नहीं हालात इतने बिगड़ गए कि मार्शल को बीच बचाव के लिए आना पड़ा। इशके बाद मामले को शांत करने के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया। 6 नवंबर को भी बीजेपी द्वारा इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया गया था। पार्टी के सदस्यों ने सदन में प्रस्ताव की प्रतियां फाड़ डालीं और कहा कि इसकी कोई कानूनी वैधता नहीं है। इसके बाद बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने जम्मू में विरोध प्रदर्शन किया।

जम्मू-कश्मीर का सदन सुप्रीम कोर्ट से ऊपर नहीं

जम्मू कश्मीर में नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा ने कहा कि इस प्रस्ताव को दिन के कामकाज में सूचीबद्ध किए बिना ही पेश कर दिया गया। हमें राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा करनी थी, लेकिन सरकार ने चालाकी दिखाई और अचानक प्रस्ताव पेश कर दिया। शर्मा ने कहा कि इस प्रस्ताव की कोई कानूनी वैधता नहीं है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर का सदन सुप्रीम कोर्ट से ऊपर नहीं है।

आर्टिकल-370 अब इतिहास है

आगे उन्होंने कहा कि आर्टिकल-370 इतिहास है और इतिहास बदला नहीं जा सकता। सुनील वर्मा ने विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर को भी जमकर सुनाया और उन्हें राजनीतिक कार्यकर्ता बताते हुए उनकी भूमिका पर प्रश्नचिह्न लगा दिए। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने के दौरान सरकार की चर्चा में भी शामिल थे।

सीएम उमर अब्दुल्ला पर निशाना करते हुए शर्मा ने कहा कि कश्मीर के लोगों को गुमराह करने की उनकी आदत है। जो लोग 370, स्वायत्तता और जमात-ए-इस्लामी के नाम पर राजनीति करते थे, वे 5 अगस्त 2019 के बाद से स्थापित शांति से परेशान हैं। नेशनल कांफ्रेंस राज्य के दर्जे पर बात करके गरीबों को फिर से सड़क पर लाना चाहती है।

कांग्रेस पर भी साधा निशाना

इस प्रस्ताव के समर्थन में खड़े होने के लिए सुनील शर्मा ने कांग्रेस पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि कांग्रेस और राहुल गांधी अनुच्छेद-370 पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें, वरना कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर इसका जवाब देना होगा।

इसके जवाब में कांग्रेस के नेता गुलाम अहमद मीर ने कहा कि पार्टी द्वारा 2019, अगस्त में बयान जारी कर जम्मू-कश्मीर के विभाजन और राज्य का दर्जा छीने जाने के खिलाफ लोगों की नाराजगी का समर्थन किया था औऱ केंद्र के इस फैसले को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बताया था।

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