रांची: फाइलेरिया के खात्मे के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार अभियान चला रहा है। लोगों को दवाएं भी खिलाई जा रही हैं। लेकिन इसके बावजूद रांची के ओरमांझी और तमाड़ में फाइलेरिया ट्रांसमिशन के सबूत मिले हैं। जिसने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। इसके बाद विभाग ने फाइलेरिया को जड़ से खत्म करने को लेकर मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA-25) कार्यक्रम का आयोजन 10 से 25 फरवरी तक करने का निर्णय लिया है। जिसके तहत रांची जिले के दो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ओरमांझी और तमाड़ में लोगों को दवा खिलाई जाएगी। इस अभियान के तहत कुल 2,45,828 आबादी को डीईसी और एलबेंडाजोल दवाइयां दी जाएंगी। जिनमें गर्भवती महिलाएं, 2 वर्ष से छोटे बच्चे और गंभीर रूप से बीमार लोग शामिल नहीं होंगे।
डोर टू डोर जाकर भी खिलाएंगे दवा
यह कार्यक्रम रांची जिले के आंगनवाड़ी केन्द्रों, स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक भवनों में बूथ के माध्यम से 10 फरवरी को प्रारंभ होगा। वहीं 11 फरवरी से 25 फरवरी तक शेष लोगों को घर-घर जाकर दवा सेवन कराया जाएगा। स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रत्येक घर में जाकर दवा देंगे। कुल 323 बूथों पर 646 डीए (ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) कार्यकर्ताओं द्वारा यह कार्य सम्पन्न कराया जाएगा। इसके साथ ही 33 सुपरवाइजर भी अभियान की निगरानी करेंगे ताकि कार्यक्रम सफल हो सके।
हर ग्रुप के लिए अलग खुराक
दवा सेवन के दौरान निम्नलिखित खुराक दी जाएगी। जिसमें 2-5 वर्ष के लोगों को 1 गोली डीईसी और 1 गोली एलबेंडाजोल दी जाएगी। वहीं 6-14 वर्ष के बच्चों को 2 गोली डीईसी और 1 गोली एलबेंडाजोल खिलाई जाएगी। इसके अलावा 15 वर्ष और ऊपर के लोगों को 3 गोली डीईसी और 1 गोली एलबेंडाजोल दी जाएगी। इस बीच ये ध्यान रखना आवश्यक है कि खाली पेट दवा का सेवन नहीं किया जाना चाहिए।वहीं, 1 से 2 वर्ष के बच्चों को केवल एलबेंडाजोल की आधी गोली दी जाएगी। यह अभियान सभी नागरिकों को फाइलेरिया से बचाव हेतु जागरूक करने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
अभियान में सभी का सहयोग जरूरी
सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि अभियान फाइलेरिया एक वेक्टर जनित रोग है, जो संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। हालांकि यह बीमारी जानलेवा नहीं है, लेकिन इससे शरीर में विकृति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए, इस बीमारी से बचाव के लिए एमडीए कार्यक्रम के दौरान सभी व्यक्तियों को दवा का सेवन करना जरूरी है। इसमें उन्होंने सभी धर्मगुरु और नेताओं से अपील की है कि इस अभियान को सफल बनाए। जिससे कि बीमारी को फैलने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि ओरमांझी और तमाड़ के कुछ इलाकों में फाइलेरिया ट्रांसमिशन के सबूत मिले हैं। इसलिए अभियान को तेज किया गया है। जिससे कि रांची फाइलेरिया मुक्त हो सके।


