Home » 749 जजों में से मात्र 98 ने दिया संपत्ति का ब्योरा, 87% क्यों छुपा रहे

749 जजों में से मात्र 98 ने दिया संपत्ति का ब्योरा, 87% क्यों छुपा रहे

आधिकारिक वेबसाइट पर केवल 13 प्रतिशत जजों की ही संपत्ति का ब्योरा डाला गया है। जिन जजों की संपत्ति का ब्यौरा वेबसाइट पर उपलब्ध है, उनमें से 80 प्रतिशत तीन हाई कोर्ट के हैं। इनमें सर्वाधिक केरल हाइकोर्ट के जज हैं।

by Reeta Rai Sagar
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

सेंट्रल डेस्क: High Court judges: देश में हाई कोर्ट के जजों की संपत्तियों का विवरण सार्वजनिक किया जा रहा है लेकिन इसकी गति काफी धीमी है। पूरे देश के 25 हाइकोर्ट में 749 जज नियुक्त हैं। लेकिन इनमें से अबतक मात्र 98 ने अपनी संपत्ति का ब्योरा पब्लिक डोमेन में सार्वजनिक किया है। बाकि जजों की संपत्तियों (High Court Assets) का ब्योरा पब्लिक पोर्टल पर उपलब्ध नहीं कराई गई है।


केरल हाई कोर्ट के 39 में 37 ने उलब्ध कराया ब्योरा


केरल हाइकोर्ट (Kerala High Court) इस मामले में सबसे उपर है। यहां से 39 में से 37 जजों ने अपने एसेटस की जानकारी वेबसाइट पर है। वैसे आधिकारिक वेबसाइट पर अबतक केवल 13 फीसदी जजों की ही संपत्ति की डिटेल डाली गई है। जिन जजों की संपत्ति का ब्यौरा वेबसाइट पर उपलब्ध है, उनमें से 80 प्रतिशत 3 हाई कोर्ट के जज हैं।

पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट के 31 जजों ने सार्वजनिक की संपत्ति


पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट के 55 में से 31 जजों ने तो वहीं दिल्ली हाइकोर्ट के 39 में से 11 जजों ने ही ब्योरा पब्लिक किया है। इसके अलावा मद्रास, हिमाचल प्रदेश, छतीसगढ़ औऱ कर्नाटक के जजों ने भी संपत्ति का ब्योरा वेबसाइट पर दे दिया है।

चल-अचल के अलावा आश्रितों की संपत्ति का भी देना है डिटेल


इन डिटेल्स में चल और अचल संपत्ति के अलावा, जीवनसाथी और आश्रितों की संपत्तियों का ब्योरा भी देना होगा। शेयर, म्युचुअल फंड, FD, बॉंड और इंश्योरेंस के मालिकाना हक की भी जानकारी देनी आवश्यक है। इसके साथ ही बैंक-लोन और ज्वेलरी के बारे में भी बताना अनिवार्य है।


नहीं है अनिवार्यता, कानून बनाने की हुई थी सिफारिश

गौरतलब है कि 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर 33 जजों में से 27 जजों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया था। हांलाकि संपत्ति का ब्योरा सार्वजिक करना स्वैच्छिक आधार पर है। 7 अगस्त 2023 को इस संबंध में संसद की समिति में कानून बनाने की भी सिफारिश की थी।

Related Articles