नई दिल्ली : सुभाष चंद्र बोस की जयंती आज मनाई जा रही है। उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने सुभाष चंद्र बोस को नमन किया।
नेताजी का साहसी नेतृत्व भारतीयों को सदैव प्रेरित करता रहेगा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “पराक्रम दिवस के रूप में मनाई जाने वाली नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर, मैं भारत माता के महानतम सपूतों में से एक को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सबसे दृढ़ निश्चय और प्रेरक व्यक्तियों में से एक हैं। स्वतंत्रता के लिए उनके आह्वान ने लाखों भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए नेताजी का अथक दृढ़ संकल्प और आज़ाद हिंद फ़ौज का उनका साहसी नेतृत्व भारतीयों की पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पराक्रम दिवस के अवसर पर महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दिन को विशेष रूप से 2021 में सरकार ने नेताजी के जन्मदिन 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट भी साझा की, जिसमें उन्होंने नेताजी के अद्वितीय योगदान की सराहना की और कहा कि सरकार उस भारत के निर्माण की दिशा में काम कर रही है, जिसे नेताजी ने अपनी जीवनभर की तपस्या से देखा था।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘आज पराक्रम दिवस के अवसर पर मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान अद्वितीय है। वह साहस और धैर्य के प्रतीक हैं। उनका दृष्टिकोण हमें प्रेरित करता है और हम उस भारत के निर्माण की दिशा में काम कर रहे हैं, जिसकी उन्होंने कल्पना की थी’।
मोदी ने आगे कहा कि यह दिन हमें सुभाष बाबू के साहस को अपनाने के लिए प्रेरित करता है, ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए चुनौतियों का सामना कर सकें। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि वह आज पूर्वाह्न करीब 11.25 बजे पराक्रम दिवस कार्यक्रम में अपने विचार साझा करेंगे।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस : स्वतंत्रता संग्राम के महानायक
नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेताओं में से एक थे। उन्हें पूरे देश में ‘नेताजी’ के नाम से जाना जाता था और उनका जीवन साहस, बलिदान और देशभक्ति का प्रतीक बन चुका है। उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था।
नेताजी ने भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा पास की, लेकिन ब्रिटिश सरकार की सेवा करने से मना कर दिया और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, लेकिन गांधीजी और अन्य नेताओं के साथ विचारधारा में मतभेदों के कारण उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, सुभाष चंद्र बोस ने जापान और जर्मनी से समर्थन प्राप्त कर ‘आजाद हिंद फौज’ की स्थापना की। उन्होंने युवाओं में जोश और राष्ट्रभक्ति का संचार किया और ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा’ जैसे जोशीले नारे दिए, जो पूरे देश में धूम मचाने लगे। साथ ही, ‘दिल्ली चलो’ का नारा भी बेहद प्रसिद्ध हुआ, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक अहम मोड़ साबित हुआ।
नेताजी की कड़ी मेहनत और समर्पण ने उन्हें केवल भारतीय ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सम्मान दिलवाया। उनका दृढ़ विश्वास था कि भारत को अपनी स्वतंत्रता के लिए हरसंभव रास्ता अपनाना चाहिए। यही कारण है कि उन्होंने ‘आजाद हिंद सरकार’ की स्थापना सिंगापुर में की, जहां वे इसके प्रधानमंत्री बने।
नेताजी के विचारों से प्रेरित होकर
नेताजी के विचारों ने न केवल भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया। उनका विश्वास था कि अपने देश की स्वतंत्रता के लिए किसी भी बलिदान को स्वीकार किया जा सकता है। उनका यह संदेश आज भी हमारे लिए उतना ही प्रासंगिक है। नेताजी के जीवन और कार्यों से हमें यह सीखने को मिलता है कि केवल साहस और दृढ़ संकल्प से ही बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।
आज जब हम पराक्रम दिवस मना रहे हैं, यह दिन हमें हमारे महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के बलिदानों और उनके साहस को याद दिलाता है। उनके जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हम भी अपने देश के लिए कार्य करें और एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं।
इस पराक्रम दिवस पर, हम सबका कर्तव्य है कि हम नेताजी के बताए मार्ग पर चलकर अपनी देशभक्ति को सर्वोपरि रखें और उनके आदर्शों को जीवन में उतारें। यह दिन हमें प्रेरणा देता है कि हम हर कठिनाई का सामना धैर्य और साहस के साथ करें, जैसा कि नेताजी ने किया था।
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