पॉलिटिकल डेस्क। नई दिल्ली में गहमागहमी तब मच गई जब कांग्रेस पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में अपने वरिष्ठ नेता और आध्यात्मिक गुरु आचार्य Pramod Krishnam को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। यह कदम आचार्य कृष्णम के भाजपा के समर्थन में दिए गए बयानों और कांग्रेस लाइन से अलग हटकर किए गए कार्यों के बाद उठाया गया है।
बता दें कि 22 जनवरी को अयोध्या में हुए रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी के जाने से इनकार करने के बाद से आचार्य प्रमोद कृष्णम पार्टी से नाराज चल रहे थे और पार्टी के खिलाफ बयान दे रहे थे। आचार्य Pramod Krishnam राम मंदिर पर लिए गए कांग्रेस के रुख से असहमत थे। उन्होंने न केवल सार्वजनिक रूप से भाजपा के राम मंदिर निर्माण का समर्थन किया, बल्कि संभल में अपने कल्कि धाम मंदिर के शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री को आमंत्रित भी किया। ये दोनों ही कार्यवाही पार्टी नेतृत्व के लिए स्वीकार्य नहीं थीं।
पार्टी के खिलाफ बयानबाजी पड़ी मंहगी – Pramod Krishnam
कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत बार-बार पार्टी विरोधी टिप्पणी करने और अनुशासनहीनता का प्रदर्शन करने के आरोप में आचार्य कृष्णम को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया है।
निष्कासन के बाद आगे क्या करेगें आचार्य
निष्कासन के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए आचार्य Pramod Krishnam ने कहा कि उन्हें पार्टी से निकाले जाने का दुख है और वह निकट भविष्य में अपनी राजनीतिक योजनाओं पर विचार करेंगे। हालांकि, यह साफ नहीं है कि उनका अगला कदम क्या होगा या क्या वह किसी अन्य पार्टी में शामिल होंगे।
यह घटना कांग्रेस पार्टी के भीतर मौजूद गुटबाजी को उजागर करती है। कुछ का मानना है कि इस कदम से पार्टी नेतृत्व यह संदेश दे रहा है कि वह अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करेगा। वहीं, अन्य आलोचकों का कहना है कि यह पार्टी में असहमति के दमन का संकेत है।
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि इस घटना का कांग्रेस पार्टी और आचार्य Pramod Krishnam दोनों पर क्या प्रभाव पड़ता है। निष्कासन क्या उनके राजनीतिक भविष्य को समाप्त कर देगा या फिर यह उनके लिए एक नए रास्ते की शुरुआत का संकेत है? आने वाला समय ही इसका जवाब देगा।
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