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राजस्थान : विस चुनाव कर्नाटक के फर्मूले पर, केंद्रीय नेतृत्व तय करेंगा सबकुछ

by Rakesh Pandey
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जयपुर:  दिल्ली में सबकुछ सुलझा लेने के दावे के बीच राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट में तानातनी जारी है. सचिन पायलट अभी भी दबाव की राजनीति करनी जारी रखे हैं इस बीच पार्टी चुनाव की रणनितियों को बनाने में जुट गयी है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन में कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व का ही दखल होने का फार्मूला हिट होने के बाद अब प्रदेश में भी इस साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव में यह फार्मूला लागू किया जा सकता है. इस फॉर्मूले से शीर्ष नेतृत्व को राजस्थान में भी जीत की उम्मीदें हैं. सूत्रों की मानें तो राजस्थान में अगर यह फॉर्मूला लागू हो गया तो फिर प्रदेश के शीर्ष नेता अपने चहेतों को टिकट दिलाने के लिए जोर आजमाइश नहीं कर पाएंगे. दरअसल कर्नाटक फॉर्मूले के तहत स्टेट लीडरशिप की बजाए केंद्रीय नेतृत्व की मर्जी से ही टिकट तय होंगे. पार्टी हाईकमान की इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से भी चर्चा हो चुकी.दरअसल, कर्नाटक फॉर्मूले के तहत प्रत्याशी चयन में प्रदेश के शीर्ष नेताओं से केवल राय ही ली जाएगी. प्रत्याशी का फैसला शीर्ष नेतृत्व करेगा। जानकारों का कहना है कि प्रत्याशी चयन के लिए होने वाली स्क्रीनिंग कमेटी की बैठकों में भी स्टेट लीडरशिप अपने-अपने समर्थकों के लिए ज्यादा प्रयास नहीं कर पाएं.

सर्वे रिपोर्ट के आधार पर होंगे टिकट तय
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रत्याशी चयन में इस बार नेताओं की सिफारिश नहीं बल्कि सर्वे रिपोर्ट प्रमुख आधार होगी. अगर सर्वे में मौजूदा विधायकों की ग्राउंड रिपोर्ट सही नहीं है तो उन विधायकों का टिकट काटकर सर्वे में सामने आए मजबूत चेहरे को टिकट दिया जाएगा.एआईसीसी की ओर से लगातार विधायकों और जिताऊ चेहरों को लेकर सर्वे करवाया जा रहा है.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश प्रभारी रंधावा भी कई बार कह चुके हैं कि इस बार सर्वे रिपोर्ट के आधार पर टिकट तय होगा. प्रदेश में टिकट वितरण को लेकर कर्नाटक फॉर्मूला सख्ती से लागू होगा या नहीं इसे लेकर कांग्रेस गलियारों में चर्चाएं हैं.दरअसल उदयपुर में हुए पार्टी के नव संकल्प शिविर में लिए गए फैसले भी सख्ती के साथ लागू नहीं हो पाए. परिवार में एक टिकट, एक व्यक्ति एक पद सिद्धांत, महिलाओं को 33 फीसदी टिकट जैसे नियम बनाए गए थे लेकिन कर्नाटक में ही इन फॉर्मूलों को सख्ती से लागू नहीं किया गया. आधा दर्जन नेताओं के साथ ही उनके पुत्र-पुत्रियों को भी टिकट दिया गया था. वहीं महिला प्रतिनिधित्व के तौर पर 224 सीटों में से केवल 11 टिकट महिलाओं को दिए गए थे। वहीं, डीके शिवकुमार पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष भी हैं और डिप्टी सीएम भी हैं.

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